Supreme Court। उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने ऐतिहासिक केशवानंद भारती मामले (Kesavananda Bharti case) से जुड़ी दलीलों, लिखित प्रतिवेदनों और फैसले की जानकारी मुहैया कराने वाला एक वेब पेज सोमवार को लोगों, विशेष रूप से शोधकर्ताओं के लिए शुरू किया। संविधान के मूल ढांचे की अहम अवधारणा पेश करने वाले इस मामले पर सुनाए गए फैसले को 24 अप्रैल को 50 वर्ष पूरे हो गए।
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि हमने एक वेब पेज विशेष रूप से तैयार किया है जिसमें केशवानंद भारती मामले से संबंधित सभी लिखित प्रतिवेदन और अन्य जानकारी हैं ताकि विश्वभर के शोधकर्ता इसे पढ़ सकें। इस मामले में फैसला 50 साल पहले यानी 24 अप्रैल, 1973 को सुनाया गया था। अदालत कक्ष में मौजूद वकीलों ने इस कदम की सराहना की और कहा कि इससे कानून शोधकर्ताओं, छात्रों और वकीलों को काफी मदद मिलेगी।
ऐतिहासिक फैसले में इस धारणा की विवेचना की गई कि संसद संविधान में कुछ भी संशोधन कर सकती है। उसने मूलभूत ढांचे की अवधारणा को भी प्रतिपादित किया और कहा कि लोकतंत्र, न्यायिक स्वतंत्रता, अधिकारों का विभाजन तथा धर्मनिरपेक्षता जैसे पहलू संविधान के मूलभूत संरचना का हिस्सा हैं इसलिए संसद इनमें संशोधन नहीं कर सकती।(भाषा)