पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि हम बोपैया को विधानसभा का अस्थायी अध्यक्ष बनाए जाने के खिलाफ सकारात्मक रूप से अदालत का रुख करेंगे और शुक्रवार को ही करेंगे। जहां प्रजातंत्र का एनकाउंटर किया जा रहा है वहां अस्थायी अध्यक्ष का मामला और महत्वपूर्ण हो जाता है। सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि राज्यपाल वजूभाई वाला ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह के कहने पर तीसरी बार संविधान का एनकाउंटर कर दिया।
उन्होंने कहा कि दागी बोपैयाजी वही हैं जिन्होंने 2010 में येदियुरप्पा की सरकार बचाने के लिए संविधान की धज्जियां उड़ा दी थीं। उच्चतम न्यायालय ने उनके आदेश को खारिज कर दिया था। दरअसल बोपैया ने 2010 में कई विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी थी, हालांकि बाद में शीर्ष अदालत ने उनके फैसले को रद्द कर दिया था।
सुरजेवाला के मुताबिक न्यायालय ने स्पष्ट किया था कि बोपैया ने संवैधानिक नियमों का उल्लंघन किया ताकि येदियुरप्पा की सरकार बचाई जा सके। उसी तरह के हालात आज फिर हैं और बोपैया को फिर से येदियुरप्पा को बचाने के लिए नियुक्त किया गया है। इससे यह साबित होता है कि भाजपा के पास बहुमत नहीं है इसलिए वह जालसाजी करके बहुमत हासिल करना चाहती हैं। यह जिम्मेदारी सदन के सबसे वरिष्ठ सदस्य को दिए जाने की संवैधानिक परंपरा रही है और कर्नाटक में भी इसी का पालन होना चाहिए।
इससे पहले कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने संवाददाताओं से कहा कि संसद और विधानसभाओं के अस्थायी अध्यक्ष को लेकर यह परंपरा रही है कि सबसे वरिष्ठ सदस्य इस भूमिका को निभाता है। उसका काम सिर्फ खुद शपथ लेना और फिर दूसरों को शपथ दिलाना है। इसके बाद सीधे विश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग होती है। कांग्रेस नहीं चाहती कि यह परंपरा टूटे। कांग्रेस का कहना है कि उसके विधायक आरवी देशपांडे को यह जिम्मेदारी दी जानी चाहिए थी।