चीन की आपत्ति के बीच दलाई के उत्तराधिकारी को लेकर फिर बोले किरेन रीजीजू

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

शुक्रवार, 4 जुलाई 2025 (17:29 IST)
Dalai Lama's successor issue : अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री किरेन रीजीजू ने शुक्रवार को कहा कि दलाई लामा के सभी अनुयाई चाहते हैं कि तिब्बती आध्यात्मिक नेता को स्वयं अपना उत्तराधिकारी चुनना चाहिए। रीजीजू ने हालांकि स्पष्ट किया कि वह भारत सरकार की ओर से प्रतिक्रिया नहीं दे रहे हैं और न ही वह इस संबंध में चीन द्वारा दिए गए बयान पर कोई राय व्यक्त कर रहे हैं। रीजीजू ने कहा, मैं एक श्रद्धालु के तौर पर बोल रहा हूं, मुझे दलाई लामा के प्रति आस्था है, दलाई लामा को मानने वाले लोग चाहते हैं कि वह अपने उत्तराधिकारी का निर्णय करें। चीन ने दलाई लामा की उत्तराधिकार संबंधी योजना को खारिज कर दिया है।
 
रीजीजू ने कहा, दलाई लामा मुद्दे पर किसी भ्रम की कोई जरूरत नहीं है। दुनियाभर में बौद्ध धर्म में आस्था रखने वाले और दलाई लामा को मानने वाले सभी लोग चाहते हैं कि (अपने उत्तराधिकार पर) फैसला वही करें। मुझे या सरकार को कुछ कहने की कोई जरूरत नहीं है। अगला दलाई लामा कौन होगा, इसका फैसला वही करेंगे।
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केंद्रीय मंत्री ने इस मुद्दे पर चीन के बयान के बारे में पूछे गए सवाल पर कहा, मैं चीन के बयान पर प्रतिक्रिया नहीं देना चाहता। मैं एक श्रद्धालु के तौर पर बोल रहा हूं, मुझे दलाई लामा के प्रति आस्था है, दलाई लामा को मानने वाले लोग चाहते हैं कि वह अपने उत्तराधिकारी का निर्णय करें।
 
चीन ने शुक्रवार को अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रीजीजू की इस टिप्पणी पर आपत्ति जताई कि दलाई लामा को अपनी इच्छानुसार उत्तराधिकारी का चुनाव करना चाहिए। चीन ने भारत से तिब्बत से संबंधित मुद्दों पर सावधानी से काम करने का आह्वान किया, ताकि द्विपक्षीय संबंधों में सुधार पर इसका प्रभाव न पड़े।
 
चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने रीजीजू की टिप्पणियों को लेकर पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि भारत को 14वें दलाई लामा की चीन विरोधी अलगाववादी प्रकृति के प्रति स्पष्ट होना चाहिए और ‘शिजांग’ (तिब्बत) से संबंधित मुद्दों पर अपनी प्रतिबद्धताओं का सम्मान करना चाहिए। चीन तिब्बत का उल्लेख ‘शिजांग’ के नाम से करता है।
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माओ ने कहा कि भारत को अपने शब्दों और कार्यों में सावधानी बरतनी चाहिए, शिजांग से संबंधित मुद्दों पर चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करना बंद करना चाहिए और चीन-भारत संबंधों के सुधार और विकास को प्रभावित करने वाले मुद्दों से बचना चाहिए।
 
अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने बृहस्पतिवार को कहा कि अगले दलाई लामा पर फैसला सिर्फ स्थापित संस्था और दलाई लामा लेंगे। उन्होंने कहा कि इस फैसले में कोई और शामिल नहीं होगा। यह दलाई लामा की ओर से अपने उत्तराधिकारी को लेकर की गई टिप्पणी पर सरकार के किसी वरिष्ठ पदाधिकारी की पहली प्रतिक्रिया है।
 
तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने अपने 90वें जन्मदिन से पहले बुधवार को कहा था कि दलाई लामा संस्था जारी रहेगी और केवल ‘गादेन फोडरंग ट्रस्ट’ को ही उनके उत्तराधिकारी को मान्यता देने का अधिकार होगा और कोई अन्य इस प्रक्रिया में ‘हस्तक्षेप’ नहीं कर सकता।
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चौदहवें दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो के बयान ने उन अटकलों पर विराम लगा दिया कि उनके निधन के बाद उनका कोई उत्तराधिकारी होगा या नहीं। दलाई लामा के कार्यालय द्वारा 2015 में गैर-लाभकारी संगठन ‘गादेन फोडरंग ट्रस्ट’ की स्थापना की गई थी।
 
चीन ने नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित दलाई लामा के उत्तराधिकार योजना को खारिज कर दिया तथा रेखांकित किया कि किसी भी भावी उत्तराधिकारी को उसकी स्वीकृति मिलनी चाहिए। इस प्रकार, तिब्बती बौद्ध धर्म और चीन में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के बीच दशकों पुराने संघर्ष में एक नया अध्याय जुड़ गया।
 
बौद्ध धर्म के अनुयायी, रीजीजू और उनके साथी केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह छह जुलाई को धर्मशाला में दलाई लामा के 90वें जन्मदिन के अवसर पर आयोजित होने वाले समारोह में भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करेंगे। रीजीजू ने कहा कि जन्मदिन समारोह एक धार्मिक आयोजन है और इसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है।
 
माओ ने चीन के इस रुख को दोहराया कि दलाई लामा और तिब्बती बौद्ध धर्म के दूसरे सबसे बड़े धर्म गुरु ‘पंचेन लामा’ के उत्तराधिकारी के लिए घरेलू प्रक्रिया, ‘स्वर्ण कलश’ से निकाले गए भाग्य पत्र और केंद्र सरकार की मंजूरी के अनुरूप कठोर धार्मिक अनुष्ठानों और ऐतिहासिक परंपराओं के अनुसार होना चाहिए।
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उन्होंने कहा कि मौजूदा 14 वें दलाई लामा इस प्रक्रिया से गुजरे थे और तत्कालीन केंद्र सरकार ने उन्हें मंजूरी दी थी। माओ ने कहा कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी का चुनाव करते वक्त उन सिद्धांतों को कायम रखना चाहिए तथा धार्मिक अनुष्ठानों, ऐतिहासिक परंपराओं, चीनी कानून और नियमों का पालन करना चाहिए।
 
संबंधों में सुधार और विकास से संबंधित माओ की टिप्पणियां पूर्वी लद्दाख गतिरोध के बाद चार साल से अधिक समय तक गतिरोध के बाद भारत और चीन दोनों की ओर से संबंधों को सामान्य बनाने के प्रयासों को संदर्भित करती हैं। पिछले वर्ष रूस के कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बैठक के बाद दोनों देशों के बीच संबंध पुनः बहाल हुए, जिसके बाद कई उच्चस्तरीय बैठकें हुईं। (इनपुट भाषा)
Edited By : Chetan Gour

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