17 से 19 दिसंबर के बीच हरिद्वार में हुई साधु-संतों की बैठक में देश के संवैधानिक मूल्यों और सांप्रदायिक सौहार्द के खिलाफ लगातार भाषण हुए अल्पसंख्यकों के विरुद्ध हथियार उठाने तक की बात कही गई थी। हरिद्वार धर्म संसद के आयोजकों और घृणित भाषण देने वालों का कहना है कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया।