पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने बताया कि एक घंटे 43 मिनट तक चंद्रमा पूरी तरह पृथ्वी की छाया में होगा जो न सिर्फ वर्ष 2001 से अब तक का सबसे लंबा पूर्ण चंद्रग्रहण होगा बल्कि अगले 82 साल यानी वर्ष 2100 तक इतना लंबा पूर्ण चंद्रग्रहण दुबारा नहीं लगेगा। इसके अलावा 27 जुलाई को लाल ग्रह मंगल पृथ्वी के ठीक सामने होगा।
आंशिक चंद्रग्रहण 27 जुलाई की रात 11 बजकर 54 मिनट पर शुरू होगा और धीरे-धीरे चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया बढ़ती जाएगी तथा (28 जुलाई) रात एक बजे यह पूर्ण चंद्रग्रहण में बदल जाएगा। रात दो बजकर 43 मिनट तक पूर्ण चंद्रग्रहण रहेगा जबकि आंशिक चंद्रग्रहण तड़के तीन बजकर 49 मिनट पर समाप्त होगा। चंद्रग्रहण की रात मंगल की स्थिति चंद्रमा की रेखा के काफी करीब होगी और ग्रहण के दौरान इसे बिना किसी उपकरण के भी देखा जा सकेगा।
मंगल औसतन हर 26 महीने में एक बार पृथ्वी से सूर्य के ठीक विपरीत आता है। यह 2003 के बाद पहली बार होगा जब मंगल पृथ्वी के इतना करीब होगा और इतना चमकीला दिखेगा। अगस्त 2003 में यह लगभग 60 हजार साल में पृथ्वी के सबसे निकट आया था। चंद्रमा 27 जुलाई को अपनी कक्षा में पृथ्वी से सबसे ज्यादा दूरी पर होगा जिससे अपनी कक्षा में इसकी गति कम होगी।
इन्हीं दो कारणों से यह चंद्रग्रहण इतना लंबा होगा। इससे लंबा पूर्ण चंद्रग्रहण 16 जुलाई 2000 को लगा था जब यह एक घंटे 46 मिनट रहा था। इसी तरह का पूर्ण चंद्रग्रहण 15 जून 2011 को लगा था जो एक घंटे 40 मिनट तक दिखा था। भारत के अलावा यह चंद्रग्रहण एशिया के अन्य हिस्सों, ऑस्ट्रेलिया, रूस के कुछ हिस्सों, अफ्रीका, यूरोप, दक्षिण अमेरिका के पूर्वी हिस्सों और अंटार्कटिका में भी देखा जा सकेगा। (वार्ता)