भाजपा के हाथ से निकल सकता है कर्नाटक का 'किला', ‘गुड न्यूज’ के इंतजार में विपक्ष ?

विशेष प्रतिनिधि

सोमवार, 2 दिसंबर 2019 (11:39 IST)
महाराष्ट्र में भाजपा को पटखनी देने के बाद अब एक बार फिर कांग्रेस की निगाह कर्नाटक पर लग गई है। कर्नाटक में भाजपा से जोड़ –तोड़ की सियासत में मात खाने वाली कांग्रेस अब विधानसभा के लिए 15 सीटों पर हो रहे उपचुनाव के नतीजों का इंतजार कर रही है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि पार्टी को उपचुनाव में जीत का भरोसा है। इसके साथ ही उन्होंने एक बार फिर कांग्रेस और जेडीएस के एक साथ आने के संकेत देते हुए कहा कि उपचुनाव के रिजल्ट के बाद कर्नाटक से गुड न्यूज मिलेगी। कर्नाटक में  15 सीटों पर हो रहे उपचुनाव के नतीजें 9 दिसंबर को आएंगे। 
 
खड़गे के इस बयान के बाद कर्नाटक का सियासी पारा फिर चढ़ गया है। कर्नाटक में जेडीएस के साथ सरकार चला चुकी कांग्रेस भले ही उपचुनाव अलग - अलग लड़ रही हो लेकिन महाराष्ट्र के बाद अब बदले सियासी माहौल में अब उसके एक बार फिर जेडीएस के साथ हाथ मिलाने की चर्चा शुरु हो गई है। 
अगर कर्नाटक विधानसभा के सियासी समीकरण के बात करे तो 225 सदस्यीय विधानसभा में इस वक्त भाजपा की सदस्य संख्या 105 है और अगर येदियुरप्पा सरकार को विधानसभा में अपना बहुमत बना कर रखना है तो उपचुनाव की 15 सीटों में से 8 सीटों पर जीत हासिल ही करनी होगी। जिसके लिए मुख्यमंत्री येदियुरप्पा और भाजपा ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। अगर कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष की बात करें तो कांग्रेस के विधायकों की संख्या 66 और जेडीएस के विधायकों की संख्या 34 है। अगर दोनों ही पर्टियों के विधायकों की संख्या को मिला दिया जाए तो यह 100 पर पहुंच जाती है। 
 
ऐसे में अगर उपचुनाव के नतीजे सत्तारुढ़ भाजपा के खिलाफ और कांग्रेस और जेडीए के पक्ष में जाते है तो कर्नाटक में भाजपा की राह आसान नहीं होने वाली है। मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा भी इस बात को अच्छी तरह से जानते है तभी तो उन्होंने ट्वीट कर कहा कि उपचुनाव के बाद कांग्रेस और जेडीएस में गठबंधन की कोई संभावना नहीं है।

गौरतलब है कि कर्नाटक में कांग्रेस –जेडीएस की गठबंधन सरकार दोनों ही पर्टियों के 17 विधायकों के इस्तीफे के बाद गिर गई थी और विपक्ष के नेता बीएस येदियुरप्पा मुख्यमंत्री बने थे।  विधायकों के दलबदल का यह पूरा मामला सुप्रीम तक कोर्ट पहुंचा था जहां से सुप्रीम कोर्ट ने 15 बागी विधायकों को फिर से चुनाव लड़ने की हरी झंडी दे दी थी वहीं 2 विधायकों का मामला अभी कोर्ट में लंबित है।
 
 

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