29 सितंबर 2008 को रमजान के दौरान मालेगांव में नमाज अदा कर निकल रहे लोगों के दोहरे बम धमाकों की चपेट में आ जाने से सात लोग मारे गए थे। मालेगांव धमाकों के मामले की छानबीन में कई उतार-चढ़ाव आते रहे हैं। इस धमाके के लिए हिंदू दक्षिणपंथी संगठनों से जुड़े लोगों को जिम्मेदार माना जाता रहा है। इस मामले की शुरुआती जांच मुंबई एटीएस के संयुक्त आयुक्त हेमंत करकरे ने की थी। 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमले में करकरे मारे गए थे।
महाराष्ट्र एटीएस ने 18 अक्टूबर 2008 को यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया और फिर एक महीने बाद मकोका की धाराएं लगाईं। एनआईए ने कहा कि इस मामले में जांच में अप्रैल 2015 तक देरी हुई, क्योंकि आरोपियों ने उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में कई अर्जियां दाखिल कर रखी थीं।
बहरहाल, इन अर्जियों पर उच्चतम न्यायालय का फैसला आने के बाद एनआईए ने रमेश शिवाजी उपाध्याय, समीर शरद कुलकर्णी, अजय रहिरकर, राकेश धावड़े, जगदीश चिंतामण म्हात्रे, पुरोहित, सुधाकर धर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी, रामचंद्र कलसांगड़ा और संदीप डांगे के खिलाफ आरोप-पत्र दायर किया। (एजेंसी)