भारत ने 13 जुलाई को जाधव से स्वतंत्र बातचीत करने की अपील की थी और कहा था कि बातचीत के दौरान जाधव बिना किसी दबाव के अपनी बात कह सके। बातचीत के बाद पाकिस्तान कॉउंसलर के पहुंचाने के लिए राजी हो गया था, जिसके बाद पाकिस्तान में भारतीय उच्च आयोग के दो अधिकारी जाधव से मिलने गए थे, लेकिन पाकिस्तान ने धोखा देते हुए बातचीत को स्वतंत्र रहने नहीं दिया और बातचीत की वीडियो रिकॉर्डिंग भी की।
जाधव से मिलने गए अधिकारियों के साथ पाकिस्तान के अधिकारी भी मौजूद रहे जिसकी वजह से वे अपनी बात खुलकर नहीं रख सके। अधिकारियों के अनुसार जाधव इस दौरान दबाव में भी दिखाई दिए। केवल यही नहीं, अधिकारियों को इस दौरान जाधव के कानूनी प्रतिनिधित्व की व्यवस्था के लिए लिखित सहमति प्राप्त करने से रोका गया।
इस मुलाकात के बाद अधिकारियों ने बयान जारी कर कहा कि पाकिस्तान की तरफ से कराई गई इस मुलाक़ात का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि उन्हें स्वतंत्र तौर पर बातचीत नहीं करने दी गई। भारतीय अधिकारियों ने कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के 2019 के निर्णय का न सिर्फ उल्लघंन है बल्कि पाकिस्तान अपने स्वयं के अध्यादेश के अनुसार कार्य करने में भी विफल रहा है।