महबूबा ने 'शहीदों' को दी श्रद्धांजलि, भाजपा रही दूर

श्रीनगर। ‘शहीदी दिवस’ पर कश्मीर में पूर्ण हड़ताल रही है। अलगाववादी नेता ‘शहीदों की कब्रों’ तक इसलिए नहीं पहुंच पाए क्योंकि उन्हें नजरबंद किया जा चुका था। हालांकि मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने 1931 के ‘शहीदों को श्रद्धांजलि तो भेंट की, पर उसके सहयोगी दल भाजपा के नेताओं ने इससे दूरी बनाए रखी।
 
इस अवसर पर अलगाववादियों की ओर से आहूत हड़ताल के चलते जनजीवन प्रभावित होने के मद्देनजर अधिकारियों ने घाटी में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए आज शोपियां में कर्फ्यू और कश्मीर के कई हिस्सों में प्रतिबंध लगा दिया।
 
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए  एहतियातन दक्षिण कश्मीर के शोपियां शहर में कर्फ्यू लगाया गया। उन्होंने कहा कि श्रीनगर के सात पुलिस थाना अंतर्गत इलाकों में लोगों की गतिविधि पर प्रतिबंध है।
 
ऐसा ही प्रतिबंध अनंतनाग, पुलवामा, कुलगाम जिलों एवं शोपियां के शेष हिस्सों में लगाया गया। अधिकारी ने बताया कि उत्तर कश्मीर में सोपोर और हंदवाड़ा शहरों में लोगों के एकत्र होने पर प्रतिबंध लगाया है और घाटी के शेष हिस्से में अधिक संख्या में सुरक्षाबलों को तैनात किया गया है।
 
उन्होंने कहा कि वर्ष 1931 में आज के दिन डोगरा आर्मी की गोलीबारी में 21 लोग मारे गए थे, जिनकी बरसी पर अलगाववादियों ने हड़ताल का आह्वान किया था। हड़ताल के कारण कोई अप्रिय घटना नहीं हो, इसी के मद्देनजर ये उपाय किए गए थे। बहरहाल समूचे कश्मीर में अधिकतर दुकानें, पेट्रोल पंप और अन्य कारोबारी संस्थान बंद रहे, जबकि सरकारी परिवहन बेहद कम नजर आए।
 
समूची घाटी में मोबाइल इंटरनेट सेवा बंद रहे लेकिन बीएसएनएल की ब्रॉडबैंड सेवा काम कर रही है। आज छुट्टी के कारण सरकारी कार्यालय एवं बैंक बंद रहे जबकि गर्मी की छुट्टियों के कारण शिक्षण संस्थान भी बंद थे।
 
इस बीच मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि हमें उस शांतिपूर्ण कश्मीर बनाए रखने के लिए एक साथ काम करना होगा जिसके लिए शहीदों ने अपने जीवन का बलिदान दिया है। उन्होंने कश्मीर के शहीदी दिवस पर शहीदों की श्रद्धांजलि अर्पित की।
 
इस मौके पर महबूबा मुफ्ती ने कहा कि 13 जुलाई, 1931 के दिन शहीद हुए लोगों की वजह से ही आज के कश्मीर की कश्मीरियत जिंदा है, हम शहीदों के सपने वाला कश्मीर बनाने की पूरी कोशिश करेंगे। 13 जुलाई, 1931 को 21 लोग शहीद हुए थे। महबूबा मुफ्ती ने इस दौरान अमरनाथ यात्रा के दौरान हुए हमले की भी कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि आज भी कश्मीरियत जिंदा है, हम लोग आतंक से डरने वाले नहीं है।
 
इससे पहले भी बुधवार को महबूबा मुफ्ती ने हमले की निंदा की थी। अमरनाथ यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं से भरी हुई बस पर हुए आतंकी हमले में 7 लोगों की मौत हुई। सोमवार रात को आतंकियों के द्वारा गोलीबारी में करीब 19 लोग घायल हुए थे। महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि हर साल लाखों श्रद्धालु अमरनाथ की यात्रा के लिए आते हैं, कश्मीरी लोग अपने-अपने तरीके से सभी की सेवा भी करते हैं।
 
उन्होंने कहा कि इस मुश्किल घड़ी में सभी देशवासियों ने भाईचारे का संदेश दिया है, कोई कितनी भी कोशिश कर ले, लेकिन कभी भी कश्मीरियत खत्म नहीं होगी। मुफ्ती ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की अवाम ने भाईचारे का सबूत दिया है। कश्मीरी में घोड़े वाला, मजदूर, खाना खिलाने वाला हर कोई अमरनाथ यात्रा पर आए हुए श्रद्धालुओं की सेवा करते हैं।

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