कनाडा स्थित अल्बर्ट विश्वविद्यालय में प्रतिरक्षा विज्ञानी और अध्ययन पत्र के प्रमुख लेखक डेनियल बैरेडा ने कहा, प्रकृति को वह करने दें, जो वह करती है और इस मामले में यह बहुत ही सकारात्मक है। बैरेडा ने कहा, मध्यम दर्जे का बुखार समाधान प्रक्रिया है, जिसका अभिप्राय है कि शरीर प्राकृतिक रूप से बिना दवा के संक्रमण होने पर उसका समाधान कर सकता है।
अनुसंधानकर्ताओं ने रेखांकित किया कि मानव में प्राकृतिक बुखार के लाभ की पुष्टि अब भी अनुसंधान के जरिए की जानी है, क्योंकि बुखार की परिपाटी और उसके बने रहने की प्रक्रिया जानवर साझा करते हैं, इसलिए यह उम्मीद करना तार्किक है कि इसी तरह (मछली पर किए अनुसंधान) का लाभ इनसानों में भी होता है।
अध्ययन में सलाह दी गई है कि लोगों को हल्का बुखार होने के शुरुआती संकेत सामने आने के बाद ही दवा लेने से बचना चाहिए। बुखार में आमतौर पर नॉन-स्टेरायडल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएं (एनएसएआईडी) दवाएं दी जाती हैं।बैराडा ने कहा, एनएसएआईडी बुखार की वजह से महसूस की जाने वाली असहजता से राहत देती है, लेकिन संभव है कि आप प्राकृतिक प्रक्रिया के कुछ लाभों से वंचित हो रहे हों।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)