नई दिल्ली, प्लास्टिक कचरा पर्यावरण के लिए अनुकूल नहीं है, और समुद्री पारिस्थितक तंत्र भी प्लास्टिक कचरे के बढ़ते प्रकोप से अछूता नहीं है।
भारतीय शोधकर्ताओं के एक अध्ययन के दौरान समुद्री कचरे में 50 प्रतिशत से अधिक मात्रा एक बार उपयोग होने वाले प्लास्टिक की पाई गई है।
समुद्र तटीय निगरानी से जुड़ी एक देशव्यापी पहल के अंतर्गत पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय से सम्बद्ध राष्ट्रीय तटीय अनुसंधान केंद्र (एनसीसीआर), चेन्नई द्वारा नियमित अंतराल पर देश के विभिन्न समुद्र तटों पर तटीय क्षेत्र की सफाई से जुड़ी गतिविधियां की जा रही हैं।
वर्ष 2018 से 2021 के दौरान समुद्री कचरे के आकलन के लिए यह पहल की गई है। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा एवं अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह द्वारा यह जानकारी लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में प्रदान की गई है।
डॉ सिंह ने बताया कि समुद्र तट पर कचरे के सर्वेक्षण से पता चला है कि सबसे अधिक कूड़े का संचय ज्वारभाटा क्षेत्र की तुलना में पश्च-तट (backshore) में होता है।
इसके अलावा, शहरी समुद्र तटों में ग्रामीण समुद्र तटों की तुलना में अधिक संचय दर देखी गई है। उन्होंने कहा, सूक्ष्म/मेसो/मैक्रो प्लास्टिक प्रदूषण के लिए तटीय जल, तलछट, समुद्र तट और बायोटा के नमूनों का विश्लेषण किया गया है। मानसून के दौरान भारत के पूर्वी तट पर सूक्ष्म प्लास्टिक (Micro-plastic) कणों की प्रचुरता में वृद्धि देखी गई है। नदी के मुहाने के पास के स्टेशनों में माइक्रो-प्लास्टिक सांद्रता अधिक थी।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय तटीय अनुसन्धान केंद्र (एनसीसीआर) तटीय जल, तलछट, और वाणिज्यिक मछलियों, बिवाल्व्स और क्रस्टेशिया सहित विभिन्न बायोटा में समुद्र तटों में कचरे का आकलन करने से जुड़ी अनुसंधान गतिविधियां चला रहा है।
भारत के पूर्वी तट के लिए सूक्ष्म प्लास्टिक प्रदूषण के स्तर पर डेटा तैयार किया गया है, और पश्चिमी तट का मूल्यांकन शीघ्र ही किया जाना प्रस्तावित है। राष्ट्रीय समुद्री कचरा नीति तैयार करने हेतु रोडमैप तैयार करने के लिए विभिन्न शोध संस्थानों के प्रतिभागियों, हितधारकों, नीति-निर्माताओं, औद्योगिक एवं शैक्षणिक विशेषज्ञों के साथ विमर्श किया जा रहा है।
संयुक्त राष्ट्र स्वच्छ समुद्र कार्यक्रम के अंतर्गत भारतीय तटीय जल में समुद्री कचरे की मात्रा के निर्धारण, और प्लास्टिक प्रवाह को कम करने के लिए राष्ट्रीय कार्ययोजना शुरू कर तत्काल और ठोस कार्रवाई पर जोर दिया गया है।(इंडिया साइंस वायर)