माउंट एवरेस्ट बंद होने से पर्वतारोही निराश

सोमवार, 4 मई 2015 (22:40 IST)
नई दिल्ली। माउंट एवरेस्ट को पर्वतारोहण के लिए बंद करने के नेपाल सरकार के फैसले से कई भारतीय पर्वतारोहियों को बड़ी निराशा हुई है, जिन्होंने विश्व की इस सबसे ऊंची चोटी को फतह करने के लिए भारी पैसा लगाया है।
नेपाल में 25 अप्रैल को भूकंप आने से एवरेस्ट पर भूस्खलन हुआ था तथा 22 पर्वतारोहियों की जान चली गई  थी एवं कई देशों के पवर्तरोही एवरेस्ट आधारशिविर में फंस गए थे।
 
झारखंड में जमशेदपुर के प्रदीप चंद्र साहू और उनकी पत्नी चेतना की इस साल इस चोटी को फतह करने की कोशिश एक बार फिर जब निष्फल हो गई तब उन्हें बड़ी निराशा हुई।
 
एवरेस्ट को फतह करने वाली पहली भारतीय महिला बछेन्द्री पाल से प्रशिक्षण हासिल करने वाले इस पर्वतारोही दंपत्ति की पिछली साल अप्रैल की कोशिश तब विफल हो गई थी जब एक हिमस्खलन के कारण कई शेरपा मारे गए थे और अन्य लापता हो गए थे जिनकी भी संभवत: मौत हो गई है।
 
बछेंद्री पाल ने जमशेदपुर से फोन पर कहा, ‘विशेषकर भारतीय पर्वतारोहियों के लिए यह निराशाजनक स्थिति है। इनमें से कई पर्वतारोहियों ने एवरेस्ट की चढ़ाई के लिए बाजार से धन उधार लिया है या अपनी संपत्तियां बेची हैं क्योंकि उन्हें पर्वतारोहण के लिए धन या प्रायोजक मिलना बहुत कठिन है।’
 
टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन की प्रमुख बछेंद्री पाल ने बताया कि साहू दंपति ने असम के दो अन्य पर्वतोरोहियों के साथ पर्वत से उतरना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा, ‘बहुत से ऐसे पर्वतारोही हैं जिन्हें नेपाल सरकार के फैसले से बड़ा दु:ख हुआ होगा लेकिन फिलहाल सुरक्षा मुख्य प्राथमिकता है। पर्वतारोहियों को मेरी निजी सलाह है कि वे जल्द से जल्द नीचे आ जाएं। जीवन को खतरे में नहीं डाला जा सकता।’ 
 
अरुणाचल प्रदेश के अंशु जेम्सेनपा की आशाओं को भी झटका लगा है जो सात दिन के अंदर दूसरी बार एवरेस्ट पर चढ़ने की अपनी कोशिश को लेकर गिनीज रिकॉर्ड में स्थान बनाने की उम्मीद पाले हुए थे। पैंतीस वर्षीय अंशु तीन बार एवरेस्ट पर चढ़ने का वर्ल्ड रिकार्ड बना चुके हैं।
 
अरुणाचल माउंटेनियरिंग एंड एडवेंचर स्पोर्ट्स एसोसिएशन के प्रमुख शेरिंग वांगे ने कहा, ‘शिखर को पर्वतारोहण के लिए बंद करना पर्वतारोहियों के लिए नुकसान है। अंशु ने दोहरे आरोहण परमिट के लिए 2200 डॉलर की रॉयल्टी राशि दी थी। कुछ दिन पहले तक वे शिखर की ओर जाने का इंतजार कर रहे थे लेकिन अब वे काठमांडू वापस आ रहे हैं।’ 
 
अंशु के पर्वतारोहण का कुल खर्च 35 लाख रुपए था, जिनमें से 14 लाख रुपए परमिट एवं अन्य शुल्क के रूप में नेपाल सरकार को भुगतान किए जा चुके थे।
 
वांगे ने कहा, ‘हमें आशा है कि परमिट अगले सीजन के लिए कर दिया जाएगा और हमें दोबारा भुगतान नहीं करना पड़ेगा। इस फैसले से शेरपाओं को लगातार दूसरी बार बुरा असर पड़ेगा। इस सीजन के दौरान वे जो पैसा कमाते हें उससे अगले सीजन तक अपना परिवार चलाते हैं। अतएव, यह एक बार फिर उनके लिए बहुत बड़ा नुकसान है।’ 
 
एवरेस्ट को लेकर दुनियाभर के पर्वतारोहियों एवं ट्रेकरों में बड़ा आकर्षण होता है और वे एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए ॠण भी लेते हैं। टायर 2 और 3 शहरों के दंपति, विकलांग, व्यक्ति और अन्य एवरेस्ट पर पर्वतारोहण के वास्ते धनराशि जुटाने के लिए पुराने पर्वतारोहियों, कॉरपोरेट और संगठनों से संपर्क करते हैं।
 
हिमालयन एनवायरामेंट ट्रस्ट के मैनेजिंग ट्रस्टी और पर्वतारोही मनिंदर कोहली ने कहा, ‘मुझे हर सीजन में विभिन्न लोगों से पांच से छह कॉल आते हैं जो एवरेस्ट पर चढ़ना चाहते हैं। उनमें से ज्यादातर प्रसिद्धि के लिए ऐसा करना चाहते है लेकिन उन सभी को धन उपलब्ध कराना मुश्किल होता है।’ 
 
कोहली ने बताया कि हर साल करीब 300 भारतीय एवरेस्ट पर चढ़ने का लक्ष्य बनाते हैं, जिनमें से 90 फीसदी धन या प्रायोजक के रूप में सहयोग मांगते हैं। उन्होंने कहा कि एवरेस्ट की चढ़ाई में प्रति व्यक्ति कम से कम 40 लाख रुपए खर्च होते हैं, जिनमें शेरपा, भोजन, ठहरने, ऑक्सीजन टैंक और अन्य जरूरतें शामिल हैं।
 
7.9 तीव्रता के भूकंप और उसके बाद के झटकों एवं भूस्खलनों की वजह से सारे पर्वतारोहण ट्रैक, आधार शिविर, रस्सियां और सीढ़ी जैसे अन्य बुनियादी ढांचे नष्ट हो चुके हैं। (भाषा)

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