टीवी समाचार खबरों के मुताबिक दर्ज एफआईआर में ये कहा गया है कि सेना के 21 पैरा स्पेशल बलों ने असम सीमा के पास नगालैंड के मोन जिले के ओटिंग में ताबड़तोड़ गोलीबारी की। एफआईआर में साफतौर पर आरोप लगाया गया है कि नागरिकों की हत्या करना ही आर्मी यूनिट का इरादा था। राज्य सरकार ने पूरे मामले की जांच के एसआईटी टीम गठित की है।
17 मौतों का दावा : नगालैंड में सोमवार को भी माहौल तनावपूर्ण बना रहा जहां एक शीर्ष आदिवासी संगठन ने दावा किया कि मोन जिले में असैन्य नागरिकों पर सुरक्षा बलों की गोलीबारी में मरने वालों की संख्या बढ़कर 17 हो गई, जबकि पुलिस के मुताबिक 14 लोग ही मारे गए हैं।
पहली गोलीबारी की घटना जिसमें 6 नागरिक मारे गए थे, तब हुई जब सेना के जवानों ने शनिवार शाम को एक पिकअप वैन में घर लौट रहे कोयला खदान कर्मियों को प्रतिबंधित संगठन एनएससीएन (के) के युंग आंग गुट से संबंधित उग्रवादी समझ लिया। जब मजदूर अपने घरों को नहीं लौटे, स्थानीय युवक और ग्रामीण उनकी तलाश में गए और सेना के वाहनों को घेर लिया। इसके बाद हुई झड़प में एक सैनिक की मौत हो गई और कई वाहन जला दिए गए।
आदिवासी निकाय कोन्याक यूनियन के सदस्यों ने दावा किया कि आत्मरक्षा में सरक्षाबलों ने गोलीबारी की जिसमें 9 अन्य आम लोगों की मौत हो गई। हालांकि पुलिस अधिकारियों ने कहा कि सात असैन्य नागरिकों की ही मौत हुई। दंगा रविवार दोपहर तक खिंच गया जब गुस्साई भीड़ ने संघ के कार्यालयों और इलाके में असम राइफल्स के शिविर में तोड़फोड़ की, और इसके कुछ हिस्सों में आग लगा दी। यूनियन के सदस्यों के अनुसार, सुरक्षा बलों ने हमलावरों पर जवाबी गोलीबारी की, जिसमें कम से कम दो और लोग मारे गए, लेकिन पुलिस के मुताबिक इस घटना में एक ही व्यक्ति की मौत हुई।
बुलाया बंद : आदिवासी निकायों, नागरिक समाजों और छात्र संगठनों ने अचानक एक कदम उठाते हुए सोमवार को राज्यभर में छह से 12 घंटे तक की विभिन्न अवधियों के लिए बंद बुला लिया। प्रभावशाली नगा स्टूडेंट्स फेडरेशन (एनएसएफ) ने पांच दिनों के शोक की घोषणा की है, साथ ही आदिवासियों से इस अवधि के दौरान किसी भी उत्सव में भाग नहीं लेने के लिए कहा है। अधिकारियों ने कहा कि घायलों में से छह की हालत गंभीर बताई जा रही है और उनका अस्पताल में इलाज चल रहा है।