वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की विश्वसीयता पर सवाल उठने लगे हैं। वाराणसी के पूर्व सासंद एवं 2017 का विधान सभा चुनाव लड़ चुके प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजेश मिश्र ने बुधवार को यहां संवाददाताओं से बातचीत करते हुए ईवीएम पर कई सवाल उठाए।
वाराणसी दक्षिणी विधान सभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी के प्रतिद्वंवी रहे मिश्र ने कहा कि केंद्र में सत्ताधारी भाजपा के नेताओं ने मोदी के संसदीय क्षेत्र सहित समूचे उत्तरप्रदेश में अपनी भारी हार के डर से योजनाबद्ध तरीके से निजी कंपनी के प्रतिनिधियों से ईवीएम का इस्तेमाल अपने पक्ष में करवाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा मशीनों की देखरेख एवं सहायता कार्य करने वाली निजी कंपनी के प्रतिनिधियों के माध्यम से बड़े पैमाने पर गड़बड़ी कर भाजपा प्रत्याशी जिताए गए थे।
मिश्र ने कहा कि मशीनों की देखरेख करने वाली निजी कंपनी के प्रतिनिधियों की जिम्मेवारी अपने कंपनी के प्रति होती, न कि सरकार या देश की जनता के प्रति। यही वजह से भाजपा नेताओं ने उन्हें आसानी से प्रभावित किया।
उत्तरप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने अदालती लड़ाई के अलावा देशव्यापी चरणद्ध आंदोलन की शुरुआत आगामी 11 अप्रैल को काल दिवस मनाने के साथ ही हर महीने की 11 तारीख को काला दिवस मनाने की घोषणा की है। उधर, गोवा एवं पंजाब में अपेक्षा से विपरीत चुनाव परिणाम आने से आहत आम आदमी पार्टी के संयोजक एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री ने भी बुधवार को ईवीएम के साथ छेड़छाड़ की आंशका व्यक्त करते हुए जांच की मांग की है। (वार्ता)