केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री ने कहा, 'किन पुरुषों ने आत्महत्या की। आत्महत्या के बजाय हालात को सुधारने की कोशिश क्यों नहीं की जाए। मैंने एक भी मामला नहीं सुना।' हालांकि आंकड़ों पर नजर डालें तो मेनका गांधी बिल्कुल अलग बात कर रही थीं।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार 2015 में देश में आत्महत्या के 1,33,623 मामले आए जिनमें 91,528 (लगभग 68 प्रतिशत) पुरुषों द्वारा और 42,088 महिलाओं के थे।
एक शख्स ने लिखा, 'बच्चों को उनके पिता से अलग नहीं किया जाए, इसके लिए मंत्रालय क्या कर रहा है। किसी बच्चे को उसके जैविक पिता से अलग करना क्या अपराध नहीं है।' इस पोस्ट पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए मेनका ने कहा कि पुरुषों को अधिकार मांगने से पहले जिम्मेदारी स्वीकार करनी होगी। (भाषा)