निशिकांत दुबे के बिगड़े बोल, चुनाव आयुक्त नहीं, मुस्लिम आयुक्त थे एसवाय कुरैशी

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

रविवार, 20 अप्रैल 2025 (14:51 IST)
Nishikant dubey attack S.Y. Quraishi : भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट और चीफ जस्टिस संजीव खन्ना पर धार्मिक युद्ध छेड़ने का आरोप लगाने के बाद पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस.वाई. कुरैशी पर जमकर निशाना साधा। 77 वर्षीय कुरैशी भारत के 17वें चुनाव आयुक्त थे। उनका कार्यकाल 2010 से 2012 तक रहा। ALSO READ: निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा की मुश्किलें बढ़ीं, कांग्रेस का सवाल, क्यों नहीं हुई भाजपा सांसदों पर कार्रवाई?
 
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर अपनी पोस्ट में कहा कि आप चुनाव आयुक्त नहीं, मुस्लिम आयुक्त थे। झारखंड के संथालपरगना में बांग्लादेशी घुसपैठिया को वोटर सबसे ज़्यादा आपके कार्यकाल में ही बनाया गया। उन्होंने कहा कि पैगंबर मुहम्मद साहब का इस्लाम भारत में 712 में आया, उसके पहले तो यह जमीन हिंदुओं की या उस आस्था से जुड़ी आदिवासी, जैन या बौद्ध धर्मावलंबी की थी।
 
क्या है निशिकांत के गांव का इतिहास : उन्होंने कहा कि मेरे गांव विक्रमशिला को बख्तियार ख़िलजी ने 1189 में जलाया, विक्रमशिला विश्वविद्यालय ने दुनिया को पहला कुलपति दिया अतिश दीपांकर के तौर पर। इस देश को जोड़ो, इतिहास पढ़ो, तोड़ने से पाकिस्तान बना, अब बंटवारा नहीं होगा?
भाजपा सांसद ने क्यों साधा कुरैशी पर निशान : एस.वाई. कुरैशी ने वक्फ अधिनियम (Waqf Act) को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर अपनी पोस्ट में लिखा, 'वक्फ अधिनियम निस्संदेह मुस्लिम जमीन हड़पने के लिए सरकार की एक खतरनाक और गलत योजना है। मुझे भरोसा है कि सुप्रीम कोर्ट इस पर सवाल उठाएगा। अफवाह फैलाने वाली मशीनरी ने अपना काम बखूबी किया है। इसी पोस्ट का जवाब देते हुए दुबे ने कुरैशी को मुस्लिम आयुक्त बताया। 
 
एस.वाई. कुरैशी ने निशिकांत दुबे के बयान पर कहा कि क्योंकि यह मामला सीधे सुप्रीम कोर्ट से जुड़ा हुआ है और सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में है, लिहाजा इस पर अभी कोई टिप्पणी नहीं करूंगा। ALSO READ: निशिकांत दुबे की टिप्पणी पर भड़के ओवैसी, भाजपा पर लगाया बड़ा आरोप
 
गौरतलब है कि भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट पर निशाना साधते हुए कहा था कि कानून यदि शीर्ष अदालत ही बनाएगी तो संसद और विधानसभाओं को बंद कर देना चाहिए।
 
दुबे ने न्यायालय पर आरोप लगाया कि वह विधायिका द्वारा पारित कानूनों को रद्द करके संसद की विधायी शक्तियों को अपने हाथ में ले रहा है और यहां तक ​​कि राष्ट्रपति को निर्देश भी दे रहा है, जो सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति कर्ता प्राधिकारी हैं।
edited by : Nrapendra Gupta

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