रिपोर्ट के अनुसार, 500 और 1,000 रुपए के नोटों पर पाबंदी से अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के दौरान आर्थिक गतिविधियों में नरमी आई जिससे कंपनियों और खुदरा कर्जदारों के बीच कर्ज मांग पर असर पड़ा, हालांकि इस दौरान बैंक जमा में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई। मूडीज ने कहा कि नोटबंदी का ऋण मांग और जमा वृद्धि पर उल्लेखनीय प्रभाव पड़ा, लेकिन संपत्ति गुणवत्ता मिलीजुली रही।
खुदरा भुगतान प्रणाली को लाभ हुआ जबकि जनवरी 2017 में बैंकों की तरफ से गतिविधियों में तेजी की जो बात कही गई है, वह अभी भी नोटबंदी के पूर्व स्तर से नीचे है। अपनी रिपोर्ट में मूडीज ने कहा कि ऋण वृद्धि में नरमी का एक कारण प्रतिबंधित नोटों का उपयोग बैंकों की ऋण वापसी में करना भी रहा।
इसमें कहा गया है कि बैंकों की जमा में दिसंबर तिमाही में सालाना आधार पर 13 प्रतिशत वृद्धि हुई जबकि इससे पूर्व तिमाही में इसमें 6 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी, लेकिन नकदी की उपलब्धता तथा निकासी सीमा बढ़ने से इसमें सुधार होगा। (भाषा)