रेटिंग एजेंसी ने कहा कि लघु अवधि में जीडीपी वृद्धि पर इसका असर नकारात्मक होगा और बाद में यह काफी हद तक इस बात पर निर्भर करेगा कि नकदी संकट की स्थिति क्या रहती है। फिच एशिया प्रशांत सावरेन समूह के निदेशक थॉमस रुकमाकर ने कहा कि तिमाही के दौरान वृद्धि आंकड़ों में उल्लेखनीय गिरावट आने का अंदेशा है, हालांकि पूरे वित्त वर्ष में यह गिरावट कम रहेगी। (भाषा)