अब भारत नहीं आएंगे डोनाल्ड ट्रंप, PM मोदी से चिढ़ने की वजह भी सामने आई

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

शनिवार, 30 अगस्त 2025 (22:20 IST)
Trump will not come to India for Quad summit: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की इस साल के अंत में क्वाड शिखर सम्मेलन के लिए भारत आने की अब कोई योजना नहीं है। द न्यूयॉर्क टाइम्स ने शनिवार को अपनी खबर में यह दावा किया। अखबार ने अपनी खबर में सिलसिलेवार बताया है कि कैसे पिछले कुछ महीनों में अमेरिकी नेता और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच संबंध ‘बिगड़े’ हैं। इसके पीछे ट्रंप की नोबेल पुरस्कार की लालसा को भी माना जा रहा है। 
 
अखबार ने ‘नोबेल पुरस्कार और एक कठिन फोन कॉल : ट्रंप-मोदी संबंध कैसे बिगड़े’ शीर्षक से प्रकाशित खबर में ट्रंप के कार्यक्रम से परिचित लोगों का हवाला देते हुए कहा कि मोदी को यह बताने के बाद कि वह इस वर्ष के अंत में क्वाड शिखर सम्मेलन के लिए भारत की यात्रा करेंगे, ट्रंप की अब शरद ऋतु में भारत जाने की कोई योजना नहीं है। न्यूयॉर्क टाइम्स के दावे पर अमेरिका या भारत की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। भारत इस वर्ष के अंत में क्वाड शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने वाला है।
 
संबंध बिगड़ने की इस तरह हुई शुरुआत : ट्रंप प्रशासन ने इस वर्ष जनवरी में क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक की मेजबानी की थी। इससे एक दिन पहले ही ट्रंप ने व्हाइट हाउस में दूसरे कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी। भारत और अमेरिका के बीच व्यापार तनाव के बीच न्यूयॉर्क टाइम्स ने लेख में बताया गया है कि किस प्रकार ट्रंप और मोदी के संबंध मई में भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिवसीय सैन्य झड़प में मध्यस्थता के ट्रंप के बार-बार दावों के बाद बिगड़ गए। हालांकि, भारत ने इस दावे का खंडन किया था।
 
लेख के मुताबिक, राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा भारत-पाकिस्तान संघर्ष का ‘समाधान’ करने के बार-बार किए गए दावों से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नाराज हो गए और यह तो बस शुरुआत थी। इसमें दावा किया गया कि मोदी का ट्रंप के प्रति ‘धैर्य जवाब दे रहा है।’ अखबार के मुताबिक ट्रंप और मोदी ने 17 जून को फोन पर बात की थी, यह 35 मिनट की फोन कॉल थी, जो ट्रंप के कनाडा में जी7 शिखर सम्मेलन से वॉशिंगटन लौटने के बाद हुई थी। उक्त सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी भी शामिल हुए थे।
 
न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक मोदी और ट्रंप का कनानास्किस में जी7 नेताओं के शिखर सम्मेलन के दौरान मिलने का कार्यक्रम था, लेकिन ट्रंप जल्दी ही वॉशिंगटन लौट आए। कनानास्किस से रवाना होने और एक दशक में अपनी पहली कनाडा यात्रा समाप्त करने से पहले, मोदी ने वॉशिंगटन में ट्रंप से फोन पर बात की।
 
मोदी से यह चाहते थे ट्रंप : लेख में कहा गया है कि 17 जून को फोन पर बातचीत के दौरान, ट्रंप ने फिर से कहा कि सैन्य संघर्ष को समाप्त करने पर उन्हें कितना गर्व है और उन्होंने उल्लेख किया कि पाकिस्तान उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित करने जा रहा है। अखबार ने लिखा, इस घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले लोगों के मुताबिक इसका स्पष्ट निहितार्थ यह था कि मोदी को भी ऐसा ही करना चाहिए और नोबेल के लिए ट्रंप को भी नामित करना चाहिए।
 
लेख के मुताबिक, इससे भारतीय नेता भड़क गए। उन्होंने ट्रंप से कहा कि हालिया संघर्ष विराम में अमेरिका की संलिप्तता का कोई लेना-देना नहीं है। यह भारत और पाकिस्तान के बीच सीधे तौर पर तय हुआ था। न्यूयॉर्क टाइम्स ने कहा कि ट्रंप ने मोदी की टिप्पणियों को काफी हद तक नजरअंदाज कर दिया, लेकिन असहमति और मोदी द्वारा नोबेल पुरस्कार पर बातचीत से इनकार ने दोनों नेताओं के बीच संबंधों में खटास पैदा करने में बड़ी भूमिका निभाई है। उनके बीच कभी घनिष्ठ संबंध रहे थे और जो ट्रंप के पहले कार्यकाल से चले आ रहे थे।
 
ट्रंप का 40 से ज्यादा बार दावा : अखबार ने लिखा है कि व्हाइट हाउस ने 17 जून की बातचीत को स्वीकार नहीं किया और न ही ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर इसके बारे में कोई जानकारी दी। ट्रंप 10 मई के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष रोकने के अपने दावे को 40 से ज़्यादा बार दोहरा चुके हैं। अखबार के मुताबिक, और यह एक अमेरिकी राष्ट्रपति का विमर्श है जिसकी नजर नोबेल पुरस्कार पर है, और वह भारतीय राजनीति के तीसरे अविचल मुद्दे यानी पाकिस्तान के साथ संघर्ष से टकरा रहा है।
 
लेख के मुताबिक चूंकि ट्रंप ने रूसी तेल की खरीद के लिए भारत पर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त शुल्क लगाया है, यह भारत पर विशेष रूप से भारी जुर्माना व्यापार घाटे को कम करने या पुतिन के युद्ध के लिए धन में कटौती करने के किसी भी प्रकार के समेकित प्रयास के बजाय विमर्श में शामिल नहीं होने की सजा प्रतीत होता है।
 
यह केवल रूस के बारे में नहीं : न्यूयॉर्क टाइम्स के लेख में सामरिक एवं अंतरराष्ट्रीय अध्ययन केंद्र में ‘इंडिया चेयर’ अध्यक्ष रिचर्ड रोसो के हवाले से कहा कि यह ‘केवल रूस के बारे में नहीं है।’ रोसो के हवाले से कहा गया कि अगर यह रूस पर दबाव बनाने की कोशिश में नीति में कोई वास्तविक बदलाव होता, तो ट्रंप उस कानून का समर्थन कर सकते थे जो रूसी हाइड्रोकार्बन खरीदने वाले देशों पर अतिरिक्त प्रतिबंध लगाता। यह तथ्य कि उन्होंने विशेष रूप से भारत को निशाना बनाया है, यह दर्शाता है कि यह सिर्फ रूस से कहीं आगे की बात है। अखबार ने लिखा कि शुल्क वार्ता से निराश ट्रंप ने कई बार मोदी से संपर्क किया, लेकिन भारतीय नेता ने उन अनुरोधों का जवाब नहीं दिया। (एजेंसी/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala 

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