प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर और न्यायमूर्ति डीवाई चन्द्रचूड की पीठ ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल के उस बयान पर विचार किया कि महज जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत नियमों में बदलाव करके अप्रवासी भारतीयों को वोट देने की अनुमति नहीं दी जा सकती और संसद में कानून में संशोधन करने वाला एक विधेयक पेश करने की जरूरत है ताकि उन्हें वोट देने का अधिकार मिल सकें।
अटॉर्नी जनरल ने पीठ को यह भी बताया कि मंत्रियों के एक समूह ने कानून में संशोधन करने समेत कई आयामों की जांच करने के लिए गुरुवार को एक बैठक की। अदालत ने 14 जुलाई को केंद्र को एक सप्ताह के भीतर यह फैसला लेने के लिए कहा था कि क्या वह देश में चुनावों में डाक या ई-बैलेट के जरिए एनआरआई को वोट देने की अनुमति देने के लिए निर्वाचन कानून या नियमों में बदलाव करेगी।