वन रैंक वन पेंशन का ऐलान, पूर्व सैनिक नाराज...

शनिवार, 5 सितम्बर 2015 (21:06 IST)
नई दिल्ली। वन रैंक, वन पेंशन के लिए बीते करीब चार दशकों से जोर दे रहे पूर्व सैन्यकर्मियों ने आज उस वक्त आंशिक विजय हासिल की जब सरकार ने ऐलान किया कि वह इस योजना का कार्यान्वयन करेगी। दूसरी तरफ, पूर्व सैन्यकर्मियों ने इस फैसले को खारिज कर दिया और कहा कि उनका 84 दिनों से चला आ रहा आंदोलन जारी रहेगा।
रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने ओआरओपी की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे पूर्व सैनिक संगठनों के नेताओं के साथ बातचीत के बाद यह घोषणा की। उन्होंने बताया कि सरकार ओआरओपी को एक जुलाई 2014 से लागू करेगी। पेंशन की हर पांच वर्ष में समीक्षा की जाएगी। हालांकि स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाले सैनिकों को इसका लाभ नहीं मिलेगा। 
 
पर्रिकर ने बताया कि पूर्व सैनिकों को दो वर्ष में चार किस्तों में बकाया राशि का भुगतान कर दिया जाएगा। विधवाओं को एक मुश्त भुगतान किया जाएगा।
 
उन्होंने बताया कि ओआरओपी के कारण सरकारी खजाने पर आठ से दस हजार करोड़ रुपए का भार पड़ेगा जबकि बकाया भुगतान के रूप में 10 से 12 हजार करोड़ रुपए का भुगतान किया जाएगा। 
 
रक्षामंत्री ने बताया कि पिछली सरकार द्वारा इस मुद्दे पर संसद में तकनीकी वित्तीय प्रशासनिक कठिनाइयों का हवाला दिया था, लेकिन उसके लिए कोई तैयारी नहीं की गई थी। इसीलिए इस मांग को मानने में इतना वक्त लगा।
 
पर्रीकर ने कहा कि प्रथम बार वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) के निर्धारण के लिए वर्ष 2013 को आधार माना गया है। उन्होंने बताया कि इस फैसले के बाद अब समान सेवा अवधि के साथ समान रैंक में सेवानिवृत्त होने वाले सैन्यकर्मी को समान पेंशन का भुगतान किया जाएगा, भले ही उनकी सेवानिवृत्ति की तारीख कुछ भी हो।
 
पूर्व सैनिकों की पेंशन की दरों में किसी भी प्रकार की भावी बढ़ोतरी स्वत: लागू होगी। अतएव हर पांच साल के अंतराल पर मौजूदा पेंशनधारक एवं पूर्व पेंशनधारक की पेंशन के अंतर को पाटा जाएगा।
 
उन्होंने बताया कि डेढ़ से दो माह में रक्षा मंत्रालय एक विस्तृत शासनादेश जारी करेगा तथा इसके बाद पूर्व सैनिकों की पेंशन की गणना शुरू हो जाएगी और उसका भुगतान भी स्वत: होने लगेगा। 
 
रक्षामंत्री ने कहा कि ओआरओपी  का मुद्दा चार दशक से अधिक पुराना है। तत्कालीन सरकारों ने इस पर भ्रम की स्थिति बनाए रखी। पिछली सरकार ने 2009 में कहा था कि इस मुद्दे को लेकर प्रशासनिक, वित्तीय एवं तकनीकी कठिनाइयां हैं। इसके बाद लोकसभा चुनाव के पहले फरवरी 2014 में कहा कि वर्ष 2014-15 में ओआरओपी लागू हो जाएगी, लेकिन इसे लागू करने की रूपरेखा, खर्च आदि का कोई खाका पेश नहीं किया।
 
अंतरिम बजट में भी अंदाजे से 500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया। उन्होंने कहा कि इन्ही कारणों से नरेन्द्र मोदी सरकार को पूरी कवायद के बाद अपने वादे को पूरा करने में इतना समय लगा।

क्या  कहा  पूर्व  सैनिकों  ने  : दूसरी ओर धरना दे रहे सैनिकों ने सरकार की घोषणा पर असंतुष्टि जताई है। मेजर जनरल (सेनि) सतबीरसिंह ने कहा कि वीआरएस लेने वाले सैन्यकर्मियों को पेंशन योजना से बाहर रखने का फैसला हमें मंजूर नहीं है। उन्होंने कहा कि करीब 46 फीसदी सैन्य कर्मी वीआरएस लेते हैं। 

ओआरओपी पर रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की घोषणा के तत्काल बाद पूर्व सैनिकों ने अपनी पहली प्रतिक्रिया में सरकार की घोषणा का स्वागत तो किया, लेकिन उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि विभिन्न बिंदुओं पर वे पूरी तरह असंतुष्ट हैं।
 
उन्होंने कहा कि एक सदस्यीय न्यायिक कमेटी उन्हें मंजूर नहीं है, इसे पांच सदस्यीय बनाना चाहिए। कमेटी में 3 पूर्व और एक वर्तमान सैनिक होना चाहिए। हालांकि उन्होंने कहा कि सरकार का प्रस्ताव अच्छा है और सरकार को धन्यवाद दिया। 

पूर्व सैन्यकर्मियों ने ऐलान किया कि उनका आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने आगामी 12 सितंबर को एक विशाल रैली करने की भी घोषणा की है।

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