उन्होंने कहा कि सब को लगता था, कि गांव, गरीब, किसान का अगर भला करना है, खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए नहरें बनानी हैं, गांव में बिजली पहुंचाने के लिए खम्बे लगाने हैं, गांव के लिए सड़कें बनानी है, गांव के गरीबों के लिए घर बनाने हैं, गांव के गरीब नौजवानों को रोजगार के लिए व्यवस्थाएं उपलब्ध करानी हैं, तो हमें अफसरशाही के चंगुल से, कानून को निकालना पड़ेगा और तब जाकर के सुधार का प्रस्ताव आया था।