वोकल फॉर लोकर से लेकर संघ के 100 साल तक, 10 बातों से जानिए मोदी के मन की बात में क्या था खास?

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

रविवार, 28 सितम्बर 2025 (12:10 IST)
PM Modi Mann ki Baat : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात कार्यक्रम के जरिए देशवासियों को संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने वोकल फॉर लोकल, स्वच्छता, खादी से लेकर नवरात्रि, दशहरा और संघ के 100 साल तक कई विषयों पर अपनी बात रखी। जानिए क्या बोले पीएम मोदी? 
 
वोकल फॉर लोकल हो खरीदारी का मंत्र : पीएम मोदी ने कहा कि हम ठान लें कि इस बार त्योहार सिर्फ स्वदेशी चीजों से ही मनाएंगे, तो देखिएगा, हमारे उत्सव की रौनक कई गुना बढ़ जाएगी। वोकल फॉर लोकल को खरीदारी का मंत्र बना दीजिए। ठान लीजिए, हमेशा के लिए, जो देश में तैयार हुआ है, वही खरीदेंगे। जिसे देश के लोगों ने बनाया है, वही घर ले जाएंगे। जिसमें देश के किसी नागरिक की मेहनत है, उसी सामान का उपयोग करेंगे।
 
स्वच्छता सिर्फ घर तक सीमित न रहे : त्योहारों पर हम सब अपने घर की सफाई में जुट जाते हैं। लेकिन स्वच्छता सिर्फ घर की चारदीवारी तक सीमित न रहे। गली, मोहल्ला, बाजार, गांव हर जगह पर सफाई हमारी जिम्मेदारी बने। मैं आप सभी को आने वाली दीपावली की भी बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। लेकिन मैं फिर से दोहराऊंगा कि हमें आत्मनिर्भर बनना है, देश को आत्मनिर्भर बनाने के ही रहना है।
 
2 अक्टूबर को खरीदें खादी : उन्होंने कहा कि बीते 11 साल में खादी के प्रति देश के लोगों का आकर्षण बहुत बढ़ गया है। पिछले कुछ वर्षों में खादी की बिक्री में बहुत तेजी देखी गई है। मैं आप सभी से आग्रह करता हूं कि 2 अक्टूबर को कोई ना कोई खादी product जरूर खरीदें। गर्व से कहें -ये स्वदेशी हैं।
 
नवरात्रि नारी शक्ति का उत्सव : पीएम मोदी ने कहा कि नवरात्रि के इस समय में हम शक्ति की उपासना करते हैं। हम नारीशक्ति का उत्सव मनाते हैं। बिजनेस से लेकर स्पोर्ट्स तक और एजुकेशन से लेकर साइंस तक... आप किसी भी क्षेत्र को लीजिए, देश की बेटियां हर जगह अपना परचम लहरा रही हैं।
 
विजयादशमी पर RSS के 100 साल : प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बार विजयादशमी एक और वजह से बहुत विशेष है। इसी दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के 100 वर्ष हो रहे हैं। एक शताब्दी की ये यात्रा जितनी अद्भुत है, अभूतपूर्व है, उतनी ही प्रेरक है। देश में कहीं भी प्राकृतिक आपदा आए, RSS के स्वयंसेवक सबसे पहले वहां पहुंच जाते हैं। लाखों लाख स्वयंसेवकों के जीवन के हर कर्म, हर प्रयास में राष्ट्र प्रथम की यह भावना हमेशा सर्वोपरि रहती है।
 
महर्षि वाल्मीकि भारतीय संस्कृति के बड़े आधार : पीएम ने कहा कि 7 अक्टूबर को महर्षि वाल्मीकि जयंती है। महर्षि वाल्मीकि भारतीय संस्कृति के कितने बड़े आधार हैं। ये महर्षि वाल्मीकि ही थे, जिन्होंने हमें भगवान राम की अवतार कथाओं से इतने विस्तार से परिचित करवाया था। उन्होंने मानवता को रामायण जैसा अद्भुत ग्रंथ दिया। भगवान राम ने सेवा, समरसता और करुणा से सबको गले लगाया था। इसीलिए हम देखते हैं, महर्षि वाल्मीकि की रामायण के राम, माता शबरी और निषादराज के साथ ही पूर्ण होते हैं।
 
ग्लोबल फेस्टिवल बना छठ : मारे पर्व-त्योहार भारत की संस्कृति को जीवंत बनाए रखते हैं। छठ पूजा... एक ऐसा पावन पर्व है, जो दिवाली के बाद आता है। सूर्यदेव को समर्पित यह महापर्व बहुत ही विशेष है। इसमें हम डूबते सूर्य को भी अर्घ्य देते हैं, उनकी आराधना करते हैं। छठ न केवल देश के अलग-अलग हिस्सों में मनाई जाती है, बल्कि दुनिया भर में छटा देखने को मिलती है। आज ये एक ग्लोबल फेस्टिवल बन रहा है।
 
भगत सिंह युवाओं के लिए प्रेरणापुंज : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अमर शहीद भगत सिंह, हर भारतवासी, विशेषकर देश के युवाओं के लिए एक प्रेरणापुंज है। निर्भीकता उनके स्वभाव में कूट-कूट कर भरी थी। देश के लिए फांसी के फंदे पर झूलने से पहले भगत सिंह जी ने अंग्रेजों को एक पत्र भी लिखा था। उन्होंने कहा था कि मैं चाहता हूं कि आप मुझे और मेरे साथियों से युद्धबंदी जैसा व्यवहार करें। इसलिए हमारी जान फांसी से नहीं, सीधा गोली मार कर ली जाए। यह उनके अदम्य साहस का प्रमाण है।  
 
वीर सावरकर से प्रेरित थीं लता मंगेशकर : उन्होंने कहा कि आज लता मंगेशकर की जयंती है। भारतीय संस्कृति और संगीत में रुचि रखने वाला कोई भी उनके गीतों को सुनकर अभिभूत हुए बिना नहीं रह सकता। उनके गीतों में वो सब कुछ है जो मानवीय संवेदनाओं को झकझोरता है। लता दीदी जिन महान विभूतियों से प्रेरित थीं उनमें वीर सावरकर भी एक हैं, जिन्हें वो तात्या कहती थीं। उन्होंने वीर सावरकर जी के कई गीतों को भी अपने सुरों में पिरोया।
 
सौन्त्ख मंडपा के 50 साल : उन्होंने कहा कि हाल ही में पेरिस के एक कल्चरल संस्था सौन्त्ख मंडपा ने अपने 50 वर्ष पूरे किए हैं। इस सेंटर ने भारतीय नृत्य को लोकप्रिय बनाने में अपना व्यापक योगदान दिया है। इसकी स्थापना मिलेना सालविनी ने की थी। उन्हें कुछ वर्ष पहले पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। मैं सौन्त्ख मंडपा से जुड़े सभी लोगों को बहुत बधाई देता हूं और भविष्य के प्रयासों के लिए उन्हें शुभकामनाएं देता हूं।
edited by : Nrapendra Gupta 

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