शीर्ष अदालत ने भूषण को एक और मौका दिया जब अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने उनके लिए माफी का अनुरोध किया। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने जब भूषण के ‘अवहेलना’ वाले बयान पर उनके विचार पूछे जानने पर शीर्ष विधि अधिकारी ने कहा कि उन्हें (भूषण को) सभी बयान वापस लेने चाहिए और खेद प्रकट करना चाहिए।
भूषण के वकील राजीव धवन ने कहा- न सिर्फ भूषण से संबंधित अवमानना के मामले को बंद किया जाए, बल्कि विवाद का भी अंत किया जाना चाहिए। उच्चतम न्यायालय की ओर से ‘स्टेट्समैन’ जैसा संदेश दिया जाना चाहिए। धवन ने कहा कि भूषण को दोषी करार देने वाले फैसले को वापस लिया जाना चाहिए, उन्हें किसी प्रकार की सजा नहीं दी जानी चाहिए। वहीं, अदालत ने कहा कि माफी मांगने में क्या गलत है, क्या यह बहुत बुरा शब्द है?
प्रशांत भूषण ने न्यायपालिका के खिलाफ किए गए उनके दो ट्वीट पर शीर्ष अदालत में माफी मांगने से इनकार कर दिया था और कहा था कि उन्होंने जो कहा वह उनका वास्तविक विश्वास है, जिसपर वह कायम हैं। पीठ ने पूछा, “भूषण ने कहा कि उच्चतम न्यायालय चरमरा गया है, क्या यह आपत्तिजनक नहीं है।
पीठ ने कहा कि अदालत केवल अपने आदेशों के जरिए बोलती है और अपने हलफनामे में भी, भूषण ने न्यायपालिका के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां की हैं। वेणुगोपाल ने पीठ से कहा कि अदालत को उन्हें चेतावनी देनी चाहिए और दयापूर्ण रुख अपनाना चाहिए।