उन्होंने कहा कि गवर्नेंस के प्रति सजग लोगों में, देश के किसी न किसी हिस्से में लगातार हो रहे चुनाव से, पड़ने वाले विपरीत प्रभाव को लेकर चिंता है। बार-बार चुनाव होने से मानव संसाधन पर बोझ तो बढ़ता ही है, आचार संहिता लागू होने से देश की विकास प्रक्रिया भी बाधित होती है।
कोविंद ने कहा कि यह देखते हुए देश में एक साथ चुनाव कराने के विषय पर चर्चा और संवाद बढाया जाना चाहिए तथा सभी राजनीतिक दलों के बीच सहमति बनाई जानी चाहिए। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समय समय पर यह कहते रहे हैं कि बार बार चुनाव कराने से होने वाले खर्च तथा विकास कार्यों में आने वाली बाधा को दूर करने के लिए देश में सभी चुनाव एक बार में ही कराए जाने चाहिए। (वार्ता)