दिल्ली में सफल नहीं हो पाएगी रेलवे की 'रो-रो सेवा'

मंगलवार, 11 अप्रैल 2017 (23:43 IST)
नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में बढ़ते प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए दिल्ली को ट्रकों के प्रवेश से मुक्त करने के तथा सड़कों पर भीड़भाड़ कम करते हुए पर्यावरण में सुधार के लिए 'हरित परिवहन' के उद्देश्य से भारतीय रेलवे की रोल-ऑन रोल-ऑफ (रो-रो) पायलट परियोजना सफल होती नहीं दिख रही है। 
 
दिल्ली के मंडल रेलवे प्रबंधक अरुण अरोड़ा ने चर्चा में कहा कि रो-रो सेवा को सुरक्षा मंजूरी नही मिल रही है क्योंकि दिल्ली में कई स्थानों विशेषकर तीन स्थानों मथुरा रोड, पुल बंगश और पुल मिठाई पर स्थित ओवरब्रिजों के नीचे वैगन में लदे हुए भारी व्यावसायिक वाहनों को निकालना संभव नहीं हो पा रहा है। 
 
ओवरहेड बिजली की तार और वैगन पर लदे ट्रक के बीच अंतर बहुत कम हो रहा है। उन्होंने कहा कि इसके लिए न्यूनतम अंतर 27 सेंटीमीटर होना चाहिए लेकिन राजधानी में तीन स्थानों पर ओवरब्रिज के नीचे ऐसी समस्याएं आ रही हैं।
 
उन्होंने कहा कि अभी सिर्फ 3.2 मीटर की ऊंचाई वाले ट्रकों का ही रो-रो सेवा के तहत परिचालन हो सकेगा। इससे अधिक ऊंचे ट्रक वैगन पर नहीं चढ़ाए जा सकते हैं। उन्होंने इसके मद्देनजर राजधानी में सिर्फ कम ऊंचाई  वाले ट्रकों की इस सेवा के जरिए उपयोग किया जा सकता है।
 
उल्लेखनीय है कि रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा ने राजधानी के पटेल नगर स्टेशन पर एनसीआर में गढ़ी हरसरु से मुराद नगर तक प्रथम पायलट परियोजना को मार्च के प्रारंभ में झंडी दिखाकर रवाना किया था। एनसीआर में 127 प्रवेश/निकासी स्‍थल हैं। इस क्षेत्र में अवस्थित नौ प्रमुख प्रवेश/ निकासी स्‍थलों से 75 प्रतिशत हल्‍के वाणिज्यिक वाहन और भारी ट्रक गुजरते हैं। दिल्ली में प्रतिदिन लगभग 66,000 ट्रक प्रवेश करते हैं।
 
इनमें से लगभग 38 प्रतिशत अथवा 25,000 ट्रकों की गिनती भारी ट्रकों में होती है। इनमें से लगभग 60 प्रतिशत अर्थात 15,000 ट्रकों को दिल्ली गंतव्य स्थल नहीं होता है। रो-रो मॉडल के तहत ट्रकों की आवाजाही दिन के समय भी हो सकती थी। 
 
आमतौर पर सुबह 7 बजे से लेकर रात्रि 11 बजे तक भारी वाहनों के दिल्ली में प्रवेश पर पाबंदी है। इस परियोजना के शुरू होने से प्रवेश स्‍थलों पर लगने वाली लंबी-लंबी लाइनें छोटी होने की उम्मीद थी लेकिन अब ऐसा होता नहीं दिख रहा है। (वार्ता)

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