कर्नाटक में दिवाली से पहले हलाल पर हंगामा, हिंदू संगठनों ने चलाया ‘हलाल जिहाद’ के खिलाफ कैंपेन
गुरुवार, 20 अक्टूबर 2022 (18:43 IST)
कर्नाटक में दिवाली से पहले हलाल प्रोडक्ट पर हमांगे की शुरुआत हो गई है। यहां कुछ हिंदू संगठनों एक अभियान चलाया है। जिसके तहत घर-घर जाकर लोगों को हलाल प्रोडक्ट नहीं खरीदने के लिए जागरूक किया जा रहा है।
दरअसल, हलाल और झटका प्रोडक्ट अलग अलग होते हैं। अलग अलग समुदायों के लोग अपनी मान्यताओं के हिसाब से हलाल या झटका उत्पाद लेते और खाते हैं। मोटे तौर पर हलाल प्रोडक्ट का इस्तेमाल मुस्लिम करते हैं, जबकि हिन्दू समुदाय के लोग झटका प्रोडक्ट खरीदते हैं। इसे ही लेकर कर्नाटक में विवाद है।
कुछ संगठनों ने कर्नाटक में हलाल उत्पाद बेचने वाली कुछ बहुराष्ट्रीय खाद्य श्रृंखला दुकानों के खिलाफ प्रदर्शन कर एक अभियान शुरू किया। कार्यकर्ताओं ने केएफसी और मैकडॉनल्ड्स में प्रदर्शन किया और मांग की कि वे गैर-मुसलमानों को हलाल प्रमाणित मांस न परोसें।
मीडिया रिपोर्ट में सामने आया कि हिंदू जनजागृति समिति के प्रवक्ता मोहन गौड़ा के मुताबिक कर्नाटक, गोवा और महाराष्ट्र के अधिकांश जिलों में अभियान शुरू हो गया है और श्रीराम सेना भी इसमें शामिल हो गई है। उन्होंने बताया कि इस अभियान का मकसद हिंदुओं को जागरूक करना और ऐसी दुकानों के खिलाफ प्रदर्शन करना है जो हलाल के प्रोडक्ट बेच रहे हैं।
मीडिया से चर्चा करते हुए गौड़ा ने कहा कि अभियान शहर में मैकडॉनल्ड्स और केएफसी स्टोर के सामने शुरू किया गया था। उन्होंने कहा, मैकडॉनल्ड्स और केएफसी केवल हलाल प्रमाणित मांस परोस रहे हैं। हलाल मांस खाने के लिए हिंदुओं को मजबूर करना हिंदू धर्म के खिलाफ है। हमने केएफसी और मैकडॉनल्ड्स प्रबंधन को एक ज्ञापन सौंपा है कि हिंदुओं को हलाल उत्पाद न दें
उन्होंने मांग की कि हिंदुओं को हलाल उत्पाद नहीं बेचा या परोसा जाना चाहिए, मेनू में हलाल और गैर-हलाल आइटम अलग-अलग सूचीबद्ध होने चाहिए। उन्होंने अपील की है कि उनकी इन मांगों को एक सप्ताह में पूरा किया जाए। अगर दिए गए समय में उनकी मांगों को पूरा नहीं किया गया तो पूरे देश में उनके उत्पादों का बहिष्कार से जूझने के लिए तैयार रहे।
क्या होता है हलाल और झटका?
मुस्लिमों में हलाल किया हुआ मांस खाने का चलन है। जबकि सिख समुदाय झटका पसंद करते हैं। अरबी में हलाल का अर्थ होता है उपभोग के योग्य। हलाल उस प्रक्रिया को कहते हैं जिसमें जानवर को धीरे- धीरे मारा जाता है ताकि उसके शरीर का पूरा खून निकल जाए। हलाल प्रक्रिया में जानवरों को काफी दर्द पहुंचता है। वहीं दूसरी तरफ झटका में एक ही झटके में धारदार हथियार से जानवर को मार दिया जाता है। जिससे जानवर बिना दर्द के एक झटके में मर जाए।
कौन जारी करता है हलाल सर्टिफिकेट?
बहुत से इस्लामिक देशों में, सरकार हलाल सर्टिफिकेट देती है। भारत में FSSAI (फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया) सर्टिफिकेशन करीब सभी प्रोसेस्ड खाने पर देखा जा सकता है। लेकिन यह अथॉरिटी भारत में हलाल सर्टिफिकेट नहीं देती है। भारत में बहुत सी निजी कंपनियां हलाल सर्टिफिकेशन देती हैं। Edited: By NavinRangiyal