नरेन्द्र मोदी के राज में रुपए की दुर्गति : डॉलर 14 रुपए हुआ महंगा, रुपए की कहानी, आंकड़ों की जुबानी
गुरुवार, 4 अक्टूबर 2018 (14:03 IST)
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त, 2018 को लालकिले की प्राचीर से दावा किया था कि भारतीय अर्थव्यवस्था का सोया हुआ हाथी अब जाग चुका है। सोए हुए हाथी ने अपनी दौड़ शुरू कर दी है। भारत जोखिमभरी अर्थव्यवस्था की छवि तोड़कर कई खरब डॉलर के निवेश की मंजिल के रूप में उभरा है। आने वाले 30 वर्षों तक भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था को गति देगा। लेकिन, मोदी सरकार के कार्यकाल पर नजर डालें तो डॉलर के मुकाबले हांफता-टूटता रुपया तो कुछ और ही कहानी बयां कर रहा है।
डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपए की गिरती कीमत थमने का नाम नहीं ले रही है। एक तरफ रुपया डॉलर के मुकाबले 73 के आंकड़े को पार कर चुका है, वहीं पेट्रोल की कीमतें 'शतक' लगाने को आतुर हैं। आग उगलते पेट्रोल और महंगाई की मार से जनता त्राहि-त्राहि कर रही है तो मोदी और उनके सिपहसालार सरकार की कामयाबियों को गिनाने का कोई मौका नहीं चूक रहे हैं।
गुरुवार यानी 4 अक्टूबर को 73.60 के स्तर पर खुलने के बाद शुरुआती कारोबार के दौरान डॉलर के मुकाबले रुपया 73.82 के नए रिकॉर्ड निम्नतम स्तर पर पहुंच गया। डॉलर के मुकाबले लगातार गिरते रुपए ने मोदी सरकार की चिंताओं को बढ़ा दिया है। गिरते रुपए को लेकर विपक्षी भी सरकार पर निशाना साध रहे हैं।
26 मई 2014 को नरेन्द्र मोदी ने एनडीए के प्रचंड बहुमत के बाद देश की बागडोर संभाली थी, उस समय डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत करीब 58.93 रुपए थी, जो पांच सालों के बाद में 73.79 के करीब पहुंच गई है। पिछले पांच वर्षों में डॉलर के मुकाबले रुपया करीब 14 रुपए टूट चुका है।
पिछले चार महीने में ही भारतीय मुद्रा करीब डॉलर के मुकाबले 6 रुपए टूट चुकी है। गिरती भारतीय मुद्रा को थामने के लिए सरकार ने पिछले हफ्ते कई कदम भी उठाए। केंद्र सरकार ने एसी, फ्रिज समेत 19 गैरजरूरी वस्तुओं पर आयात शुल्क 10 से 15 प्रतिशत तक बढ़ा दिया था, ताकि व्यापार घाटे और गिरते रुपए को कम किया जा सके, लेकिन आर्थिक विशेषज्ञ मान रहे हैं कि इसका कोई खास असर पड़ने वाला नहीं है।
यदि केन्द्र की एनडीए सरकार के कामकाज पर नजर डालें तो ऐसा बहुत एकाध बार ही हुआ है, जब रुपया तुलनात्मक रूप से सुधरा हो। आमतौर पर रुपए की गिरावट का ग्राफ हमेशा ऊपर की ओर ही रहा है। 30 मई 2016 को रुपया 66.97 था जो कि 30 मई 2017 को जरूर 64.66 के स्तर पर था। लेकिन, 4 अक्टूबर 2018 को यह डॉलर के मुकाबले 73 के पार पहुंच गया।
जेटली की दलील : बढ़ती महंगाई और डॉलर के मुकाबले गिरते रुपए पर पर वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि रुपया कमजोर नहीं हुआ है बल्कि डॉलर दुनिया की प्रत्येक मुद्रा के मुकाबले मजबूत हुआ है। दूसरी ओर तेल की कीमतों के लिए उन्होंने वैश्विक स्तर पर बढ़ती तेल की कीमतों को कारण बताया। जेटली का मानना है कि रुपया लगातार मजबूत हुआ, न कि कमजोर। भारतीय मुद्रा अन्य देशों की मुद्रा के मुकाबले पिछले 4-5 साल से बेहतर स्थिति में है।
कांग्रेस का करारा हमला : कांग्रेस का कहना है कि एक तरफ डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत में लगातार गिरावट आ रही है, तो दूसरी तरफ निर्यात के लिए ऋण सुविधा में 47 फीसदी की कमी आई है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था की स्थिति खराब है और मोदी सरकार ने चुप्पी साध रखी है। गंभीर आर्थिक संकट का निवारण तो दूर की बात है, यह सरकार इसे स्वीकारने को भी तैयार नहीं है। यह संकट मोदी के अर्थशास्त्र की नाकामी का परिणाम है।