पूर्वोत्तर में पहली भाजपा सरकार के अगुवा बनने जा रहे सर्वानंद सोनोवाल ने 15 वर्षों से असम में जारी तरुण गोगोई नीत कांग्रेस सरकार को बेदखल कर भगवा पार्टी का परचम फहराकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भरोसे को कायम रखा, जिन्होंने खेल एवं युवा मामलों के मंत्री एवं असम के लखीमपुर से सांसद सोनोवाल के युवा कंधों पर भाजपा के लिए पूर्वोत्तर के द्वार खोलने की जिम्मेदारी सौंपी थी।
असम के डिब्रूगढ़ जिले में जन्मे 54 वर्षीय सोनोवाल वर्तमान में छात्र राजनीति से आगे बढ़ते हुए केंद्र की सरकार में खेल और युवा मामलों के मंत्री बने। सोनोवाल वर्ष 1992 से 1999 तक ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) के अध्यक्ष रहे। असम की राजनीति में इस छात्र संगठन का खासा प्रभाव देखने को मिलता है और संगठन ने 6 वर्ष तक असम आंदोलन की अगुवाई की।
असम में भाजपा की राजनीति के केंद्र में आने तक उनकी पहचान राज्य के युवा, जुझारू और तेजतर्रार नेता के रूप में बन चुकी थी। 8 फरवरी 2011 को तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी और वरुण गांधी, विजय गोयल, विजॉय चक्रवर्ती और रंजीत दत्ता की मौजूदगी में वे पार्टी में शामिल हुए।