केसी त्यागी बोले, गांधी की हत्या पर पटेल ने की थी संघ की आलोचना...

रविवार, 28 अगस्त 2016 (15:00 IST)
नई दिल्ली। जनता दल यूनाइटेड ने कहा है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या के बाद तत्कालीन गृहमंत्री सरदार पटेल ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख सदासिव गोलवलकर और जनसंघ के अध्यक्ष श्यामा प्रसाद मुखर्जी को पत्र लिखकर संघ और हिन्दू सभा की आलोचना की थी और कहा था कि इन संगठनों ने समाज में सांप्रदायिकता का ऐसा जहर फैलाया जिसकी वजह से गांधीजी शहीद हुए थे।
 
पार्टी के प्रवक्ता केसी त्यागी ने बातचीत में कहा कि नाथूराम गोडसे संघ के स्वयंसेवक थे और संघ द्वारा सांप्रदायिक जहर फैलाने के कारण ही पटेल ने संघ को प्रतिबंधित कर दिया था लेकिन आज कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के मामले में यह भ्रम फैलाने की कोशिश की जा रही है कि संघ या महासभा का इसमें कोई हाथ ही नहीं था।
 
त्यागी ने कहा कि राहुल गांधी ने अदालत में क्या कहा और उसके बाहर क्या कहा? वे इस विवाद में जाना नहीं चाहते, क्योंकि यह एक तकनीकी मामला है लेकिन यह तो तथ्य है कि पटेल ने गांधीजी की हत्या के 3 दिन बाद ही 4 फरवरी 1948 को संघ को प्रतिबंधित कर दिया था। 
 
पटेल ने 19 सितंबर 1948 को सदाशिव गोलवलकर को लिखे पत्र में साफ लिखा था- 'हिन्दुओं की मदद करना संगठन के लिए एक बात है, पर उनकी मुसीबतों का बदला निहत्थी और लाचार औरतों, बालकों और आदमियों से लेना दूसरी बात है... इनकी सारी तकरीरें सांप्रदायिक विद्वेष से भरी थीं। हिन्दुओं में जोश पैदा करना और उनकी रक्षा करने के लिए यह आवश्यक नहीं था कि ऐसा जहर फैलाया जाए। उस जहर का फल अंत में यही हुआ कि गांधीजी की बेशकीमती कुर्बानी देश को सहनी पड़ी।'
 
त्यागी ने यह भी बताया कि पटेल ने तो गांधीजी की हत्या के साढ़े 5 माह बाद 18 जुलाई 1948 को श्यामा प्रसाद मुखर्जी को पत्र लिखकर कहा था कि आरएसएस और हिन्दू सभा की बात को लें तो गांधीजी की हत्या का मामला न्यायालय में है और मुझे इन दोनों संगठनों की भागीदारी के बारे में कुछ नहीं कहना चाहिए लेकिन हमें ऐसी रिपोर्ट मिली है कि इन दोनों संस्थाओं विशेषकर संघ की गतिविधियों के कारण देश में ऐसा माहौल बना कि ऐसा बर्बर कांड हो सका। मेरे दिमाग में कोई संदेह नहीं कि हिन्दू महासभा का अतिवादी भाग इस षड्यंत्र में शामिल था।
 
जब संघ ने प्रतिबंध हटाने की मांग की तो पटेल ने कहा कि पहले आप अपना संविधान तैयार करें, तब बाला साहब देवरस, एकनाथ रानाडे और पीबी धाती ने संघ का एक लिखित संविधान तैयार किया था। 
 
पटेल ने जून 1949 में उनके संविधान को मंजूरी दे दी और 11 जुलाई को संघ से प्रतिबंध हटा लिया था लेकिन आज फिर संघ के लोग देश में सांप्रदायिक माहौल बनाने में लगे हैं। उत्तरप्रदेश के चुनाव को देखते हुए यह सब किया जा रहा है। नरेन्द्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिशें तेज हो गई हैं।
 
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार में संघ से जुड़े लोगों को अहमियत दी जा रही है और संघ के लोग झूठ और दुष्प्रचार के बल पर ही टिके हैं। उनके इस छद्म राष्ट्रवाद को उजागर करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि पटेल सांप्रदायिकता और हिन्दू राष्ट्र के खिलाफ थे लेकिन आज भाजपा और संघ पटेल को ही हड़पने में लगा है और उनकी गलत छवि पेश कर रहा है। (वार्ता) 

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