नई दिल्ली। भारतीय रॉकेट पीएसएलवी-सी28 के जरिए अंतरिक्ष में स्थापित किए गए ब्रिटेन के उपग्रहों का इस्तेमाल चीन अपने शहरों की साफ-सफाई, फसल, प्रदूषण और जैव विविधता की निगरानी के लिए करेगा।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार को पीएसएलवी-सी28 के जरिए ब्रिटेन के 5 उपग्रहों को सौर समकालिक कक्षा में स्थापित किया। इनमें शामिल 3 डीएमसी-3 उपग्रह चीन और ब्रिटेन की संयुक्त परियोजना का हिस्सा हैं। इनका विकास सरे सैटेलाइट टेक्नोलॉजी लिमिटेड (एसएसटीएल) ने विकसित किया है। इनका संचालन और इस्तेमाल चीन की कंपनी ट्वंटी फर्स्ट सेंचुरी एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी कंपनी लिमिटेड (21एटी) करेगी।
चीन की संवाद एजेंसी ‘शिन्हुआ’ के मुताबिक ब्रिटेन और चीन के बीच अंतरिक्ष के क्षेत्र में सहयोग के लिए 2011 में समझौता हुआ था। एसएसटीएल का दावा है कि इन उपग्रहों से मिली तस्वीरों का इस्तेमाल शहरी नियोजन और इंटेलीजेंट मैनेजमेंट में किया सकता है। 21एटी ने इन 3 उपग्रहों के समूह को ‘बीजिंग2’ नाम दिया है। इनमें से हर उपग्रह का वजन 447 किग्रा है और इन्हें सौर समकालिक कक्षा में स्थापित किया गया है।
एसएसटीएल ने इन उपग्रहों को 21एटी को लीज पर दिया है। अमूमन कंपनियां बैंडविड्थ लीज पर लेती हैं लेकिन 21एटी ने तीनों उपग्रहों को ही लीज पर लिया है। बीजिंग की यह कंपनी उपग्रह से मिली तस्वीरों का इस्तेमाल शहरी नियोजन तथा फसलों का जायजा लेने, प्रदूषण और जैवविविधता की निगरानी के लिए करती है।
एसएसटीएल और 21एटी का 16 साल पुराना साथ है। साल 2005 में एसएसटीएल ने इस चीनी कंपनी के लिए एक उपग्रह ‘बीजिंग-1’ बनाया और छोड़ा था। उस उपग्रह के जरिए 2008 के बीजिंग ओलंपिक के लिए आधारभूत योजना बनाई गई थी। उसी साल वेनचुआन में आए विनाशकारी भूकंप की तस्वीरें भी भेजी थीं जिससे राहत कार्यों में मदद मिली। (वार्ता)