एसबीआई के निर्णय से 31 करोड़ खाताधारक होंगे प्रभावित
सोमवार, 6 मार्च 2017 (22:40 IST)
नई दिल्ली। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने आगामी पहली अप्रैल से बचत खातों में न्यूनतम अपेक्षित अधिशेष धन की सीमा कई गुना बढ़ाने के निर्णय से पेंशनभोगी और छात्र-छात्राओं सहित उसके मौजूदा 31 करोड़ खाताधारक प्रभावित होंगे।
एसबीआई ने छह महानगरों की अपनी शाखाओं में बचत खातों में मासिक औसत अधिशेष (एमएबी) की अपेक्षित सीमा बढ़ाकर 5,000 रुपए करने का निर्णय किया है। इसका असर उसके सहायक बैंकों के खाताधारकों पर भी होगा जिनका एसबीआई में विलय होने जा रहा है।
एसबीआई के सहयोगी बैंकों का उसमें एक अप्रैल को विलय हो रहा है। एसबीआई और उसके सहायक बैंकांे के खाताधारकों पर भी न्यूनतम अधिशेष की यह सीमा लागू होगी। अधिशेष घटने पर ग्रामीण शाखाओं के खाता धारकों पर जहां 20 रपए, महानगर के खाताधारकांे पर 100 रपए का जुर्माना लगेगा।
अभी बचत बैंक खातों पर मासिक औसत शेष बिना चेक बुक की सुविधा के 500 रपए और चेक बुक सुविधा के साथ 1,000 रुपए है। देश के सबसे बड़े बैंक ने अगले वित्त वर्ष यानी एक अप्रैल से महानगरों, शहरी, अर्द्धशहरी और ग्रामीण इलाकों के लिए अलग-अलग एमएबी तय करने का फैसला किया है। माना जा रहा है कि सार्वजनिक क्षेत्र के अन्य बैंक भी इस तरह का कदम उठा सकते हैं।
महानगर की शाखाओं के लिए एमएबी 5,000 रुपए होगा। न्यूनतम बैलेंस नहीं रखने पर 50 से 100 रुपए तक जुर्माना लगाया जाएगा। शहरी और अर्द्धशहरी शाखाओं के लिए एमएबी 3,000 और 2,000 रुपए तय किया गया है। ग्रामीण शाखाओं के लिए न्यूनतम बैलेंस की सीमा 1,000 रुपए तय की गई है।
एमएबी का अनुपालन नहीं करने पर 20 से 50 रुपए जुर्माना लगाया जाएगा। एसबीआई के पांच सहायक बैंकों में स्टेट बैंक आफ बीकानेर एंड जयपुर (एसबीबीजे), स्टेट बैंक आफ मैसूर (एसबीएम), स्टेट बैंक आफ त्रावणकोर (एसबीटी), स्टेट बैंक ऑफ पटियाला (एसबीपी) और स्टेट बैंक आफ हैदराबाद (एसबीएच) शामिल हैं। ये बैंक 1 अप्रैल से एसबीआई में मिल जाएंगे।
इन पांच सहायक बैंकों के विलय के बाद एसबीआई की संपत्तियों का आकार 37 लाख करोड़ रुपए या 555 अरब डॉलर हो जाएगा। इसकी शाखाओं की संख्या 22,500 हो जाएगी और एटीएम की संख्या 58,000 पर पहुंच जाएगी। इसके ग्राहकों की संख्या 50 करोड़ हो जाएगी। यह दुनिया के बड़े बैंकों की श्रेणी में आ जाएगा। (भाषा)