महाराष्ट्र में कांग्रेस और राकांपा के साथ सत्ता साझा करने वाली शिवसेना ने कहा कि गांधी ने जब कहा कि उनके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ मतातंर हो सकते हैं लेकिन यह वक्त लड़ने का नहीं है बल्कि महामारी के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने की जरूरत का है, तब उन्होंने लोकहित में पक्ष रखा और राजनीतिक परिपक्वता दर्शाई।
पार्टी के मुखपत्र 'सामना' के एक संपादकीय में शिवसेना ने कहा कि गांधी और मोदी को देश के फायदे के लिए वैश्विक महामारी पर आमने-सामने चर्चा करनी चाहिए। उद्धव ठाकरे नीत पार्टी ने कहा कि राहुल गांधी के बारे में कुछ विचार हो सकते हैं लेकिन राय तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह के बारे में भी है। भाजपा की आधी सफलता तो राहुल गांधी की छवि बिगाड़कर ही है। यह आज भी जारी है।
शिवसेना ने कहा कि गांधी ने पहले ही कोरोना वायरस के खतरे को भांप लिया और सरकार को जरूरी कदम उठाने के लिए लगातार आगाह करते रहे। जब हर कोई कांग्रेस नीत मध्यप्रदेश सरकार को गिराने में व्यस्त था तब गांधी, सरकार को कोरोना वायरस संकट से निपटने के लिए जगा रहे थे।
संपादकीय में कहा गया कि गांधी ने बार-बार सरकार से कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज में जरूरी चिकित्सीय उपकरण के निर्यात को रोकने की अपील की थी। पार्टी ने कहा कि गुरुवार को एक बार फिर गांधी ने कहा कि यह लड़ने का समय नहीं है। उनके मोदी के साथ मतभेद हो सकते हैं लेकिन यह इसका समय नहीं है। उन्होंने कहा कि हमें कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के खिलाफ जंग में एकजुट होने की जरूरत है और अगर हम झगड़ा करेंगे, तो इसमें सफल नहीं हो पाएंगे।