भारत के विश्वगुरु बनने की राह SAARC से गुजरती है G-20 से नहीं महबूबा मुफ्ती ने क्यों कही यह बात

रविवार, 14 मई 2023 (19:46 IST)
श्रीनगर। तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य की आखिरी मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती (mehbooba mufti) ने कहा है कि आगामी जी-20 (G-20) बैठक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए एक ‘अच्छी प्रचार कवायद’ हो सकती है, लेकिन भारत को दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) का शिखर सम्मेलन आयोजित करने और क्षेत्र की समस्याओं पर चर्चा करने से ही ‘विश्वगुरु’ बनने में मदद मिलेगी।
 
महबूबा 22 से 24 मई तक श्रीनगर में पर्यटन पर जी-20 समूह की बैठक की तैयारियों पर ‘पीटीआई-वीडियो’ से बात कर रही थीं।
 
भारत-पाकिस्तान संबंधों में तनाव के बीच, काठमांडू में 2014 की बैठक के बाद से द्विवार्षिक दक्षेस शिखर सम्मेलन नहीं हुआ है।
 
उन्होंने कहा कि हम जी-20 के सदस्य देश- ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका या जापान, के करीब नहीं रहते हैं। हम इस क्षेत्र में रह रहे हैं और दक्षेस इस क्षेत्र की समस्याओं का ध्यान रखता है। यदि सरकार पहल करती है और दक्षेस शिखर सम्मेलन होता है तथा पाकिस्तान में जो कुछ हो रहा है, उसके साथ-साथ इस क्षेत्र द्वारा सामना की जा रही समस्याओं का समाधान होता है तो इससे भारत को इस क्षेत्र में ही नहीं, दुनिया में अग्रणी बनने में मदद मिलेगी।
 
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा कि लेकिन सरकार को यह समझना होगा कि रास्ता दक्षेस से होकर जाता है, न कि जी-20 से।
 
अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान निरस्त करने और तत्कालीन राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों - जम्मू कश्मीर और लद्दाख में विभाजित करने के बाद कश्मीर में आयोजित होने वाली जी-20 की बैठक पहली अंतरराष्ट्रीय बैठक होगी।
 
मुफ्ती ने कहा कि जहां तक जी-20 का संबंध है, इसे भाजपा का एक कार्यक्रम बना दिया गया है, क्योंकि यहां तक कि ‘लोगो’ को भी कमल से बदल दिया गया है। यह पार्टी के लिए एक तरह का अच्छा प्रचार हो सकता है और जहां तक जम्मू-कश्मीर का संबंध है आपने देखा है, खासकर घाटी में, किस तरह से कार्रवाई हो रही है...।’’
 
हालांकि जम्मू-कश्मीर पुलिस ने किसी भी मनमानी से इनकार करते हुए कहा कि केवल उन्हीं लोगों को हिरासत में लिया गया है जिनके खिलाफ देश-विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के डिजिटल सबूत हैं।
 
महबूबा ने कहा कि जी-20 ‘भाजपा के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक अच्छा प्रचार कवायद हो सकती है लेकिन यह भारत को 'विश्वगुरु' नहीं बनाने जा रहा है, जिसके बारे में वे बात करते हैं।’
 
उन्होंने कहा कि यदि यहां का नेतृत्व दक्षेस शिखर सम्मेलन आयोजित करने की पहल करता है तो "यह वास्तव में इस क्षेत्र में भारत के नेतृत्व को स्थापित कर सकता है और अंततः यह दुनिया में अपना नेतृत्व स्थापित कर सकता है।’’
 
दिसंबर 1985 में गठित दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस) आठ देशों- भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, नेपाल और श्रीलंका का एक समूह है।
 
वर्ष 2016 में 15-19 नवंबर तक इस्लामाबाद में प्रस्तावित अंतिम नियोजित शिखर बैठक रद्द कर दी गई थी, क्योंकि भारत ने जम्मू-कश्मीर के उरी में भारतीय सेना के शिविर पर हुए आतंकी हमले के बाद "मौजूदा परिस्थितियों" के कारण उसमें हिस्सा लेने में असमर्थता व्यक्त की थी। बांग्लादेश, भूटान और अफगानिस्तान ने भी भाग लेने से मना कर दिया था।
 
कश्मीर 22 से 24 मई तक तीसरी जी-20 पर्यटन कार्यसमूह की बैठक की मेजबानी करेगा। पर्यटन पर पहली कार्यसमूह की बैठक फरवरी में गुजरात के कच्छ के रण में और दूसरी अप्रैल में पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में आयोजित की गई थी।
 
हालांकि प्राधिकारियों ने आयोजन के लिए शहर को सजा दिया है, महबूबा ने दावा किया कि श्रीनगर की सड़कों को ‘‘क्रूर तरीके से नष्ट कर दिया गया है’’ और ‘‘धरोहर पत्थरों को उखाड़ दिया गया है और कुछ सस्ती तरह की टाइल, सार्वजनिक शौचालयों में प्रयुक्त होने वाली टाइल से बदल दिया गया है।’’
 
एक तरफ तो महबूबा ने भाजपा की तीखी आलोचना की, वहीं दूसरी तरफ उन्होंने 2014 में सरकार बनाने के अपने फैसले का बचाव किया। उन्होंने कहा कि भाजपा के साथ गठबंधन करके पीडीपी ने कोई गलती नहीं थी।
 
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उनके पिता एवं पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद अनुच्छेद 370, जम्मू कश्मीर के लोगों के लिए भूमि और रोजगार अधिकारों की रक्षा करना चाहते थे। मुफ्ती ने कहा कि इसलिए उनके पिता ने एक ‘‘साहसिक कदम’’ उठाया और अपना सब कुछ दाव पर लगा दिया।’’
 
हालांकि, आज उन्हें लगता है कि श्रीनगर और नयी दिल्ली के बीच की खाई न केवल बढ़ी है, बल्कि ‘‘इस सीमा तक बढ़ गई है कि इसे पाटा नहीं जा सकता।’’
 
उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने के लिए स्थिति अनुकूल होने की बात यथार्थ से ‘बहुत परे’ है।
 
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में न्यायपालिका और मीडिया "दुनिया के कई अन्य स्थानों की तुलना में बेहतर स्थिति में है।’
 
उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि पाकिस्तान अव्यवस्था की स्थिति में है और इसमें कोई दो राय नहीं, लेकिन वहां न्यायपालिका और मीडिया जैसी कुछ अच्छी चीजें भी हैं। वे व्यवस्था को जवाबदेह ठहरा रहे हैं और यह कुछ ऐसा है जो अंततः उस देश को बचा सकता है।
 
पाकिस्तान द्वारा भारत में आतंकवाद के अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह निंदनीय है।
 
कर्नाटक चुनाव के नतीजों पर मुफ्ती ने कहा लोगों ने ‘सत्तारूढ़ पार्टी के विभाजनकारी एजेंडे को खारिज कर दिया है, जो भगवान हनुमान जैसे देवताओं को भी विमर्श में ले आयी और मुस्लिम वोटों की आवश्यकता न होने की बात की।’
 
उन्होंने कहा कि मैं कर्नाटक के लोगों को सलाम करती हूं कि उन्होंने समझदारी दिखाई है और बेरोजगारी, महंगाई तथा अन्य समस्याओं के आधार पर मतदान किया। यह एक अच्छा संकेत है और मुझे उम्मीद है कि यह कुछ ऐसा है, जिसे अगले साल संसदीय चुनावों के दौरान भी आगे बढ़ाया जाएगा।
 
महबूबा ने फिर विपक्षी एकता की वकालत की। उन्होंने कहा कि यदि हमें देश को बचाना है, हमें देश में लोकतंत्र को बचाना है, हमें इस देश के संविधान को बचाना है, तो इसके लिए सभी पार्टियों को अपने मतभेदों को भुलाकर एकसाथ आना होगा। यही सबसे महत्वपूर्ण बात है कि यदि हम चाहते हैं कि भारत का विचार जीवित रहे तो यह करना होगा। भाषा Edited By : Sudhir Sharma

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