सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को समलैंगिकता पर ऐतिहासिक फैसला देते हुए कहा कि समलैंगिकता अपराध नहीं है। समलैंगिक लोगों को भी सम्मान से जीने का हक है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समलैंगिकों के प्रति लोगों के नजरिए में बदलाव होना चाहिए। उन्हें भी सम्मान से जीते का हक है। अत: उनके अधिकारों की भी रक्षा होनी चाहिए। जानिए मामले से जुड़ी दस बातें-
4. हाईकोर्ट ने 7 नवंबर, 2008 को फैसला सुरक्षित किया। दिल्ली हाईकोर्ट ने 2 जुलाई, 2009 को आईपीसी की धारा 377 को रद्द करते हुए समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर किया। हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में फिर से चुनौती दी गई।
7. सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में रिव्यू पिटिशन खारिज कर दिया।
8. एस जौहर, पत्रकार सुनील मेहरा, सेफ रितु डालमिया, होटल बिजनेसमैन अमन नाथ और आयशा कपूर ने 2016 में धारा 377 के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।
9. अगस्त, 2017 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा 'निजता के अधिकार' पर दिए गए फैसले में सेक्स-संबंधी झुकावों को मौलिक अधिकार माना और कहा कि किसी भी व्यक्ति का सेक्स संबंधी झुकाव उसके राइट टू प्राइवेसी का मूलभूत अंग है।