उपराष्ट्रपति के रूप में कितना होगा सीपी राधाकृष्णन का कार्यकाल?

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

बुधवार, 10 सितम्बर 2025 (14:57 IST)
Radhakrishnan tenure as Vice President: सीपी राधाकृष्णन भारत के 15वें उपराष्ट्रपति निर्वाचित हुए हैं। उन्होंने विपक्ष के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्‍डी को बड़े अंतर से हराया। चूंकि पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपना कार्यकाल पूरा किए बिना पद से इस्तीफा दे दिया है, ऐसे में लोगों में जिज्ञासा है कि राधाकृष्णन का कार्यकाल पांच साल का होगा या फिर वे धनखड़ के इस्तीफे के बाद बचे हुए कार्यकाल के लिए उपराष्ट्रपति होंगे। 
 
दरअसल, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 67 के अनुसार, उपराष्ट्रपति अपने पद ग्रहण करने की तारीख से पूरे 5 साल की अवधि के लिए पद पर बने रहते हैं। यही नियम सीपी राधाकृष्णन पर भी लागू होगा। राधाकृष्णन ने विपक्ष के प्रत्याशी बी. सुदर्शन रेड्डी को 152 मतों के अंतर से पराजित किया। उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल में राज्यसभा के 233 निर्वाचित सदस्य (वर्तमान में 5 सीटें रिक्त हैं) तथा 12 मनोनीत सदस्य और लोकसभा के 543 निर्वाचित सदस्य (वर्तमान में एक सीट रिक्त है) शामिल हैं। निर्वाचक मंडल में कुल 788 सदस्य (वर्तमान में 781) हैं।
 
क्या कहना है राधाकृष्णन का : राधाकृष्णन ने मंगलवार को उपराष्ट्रपति चुनाव में अपनी जीत को राष्ट्रवादी विचारधारा की जीत बताया और 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में काम करने का संकल्प जताया। उन्होंने 452 वोट हासिल करके उपराष्ट्रपति चुनाव जीता, जबकि विपक्षी उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट मिले। राधाकृष्णन ने जीत के बाद अपनी पहली सार्वजनिक टिप्पणी में कहा कि दूसरे पक्ष (विपक्षी गठबंधन) ने कहा कि यह (चुनाव) एक वैचारिक लड़ाई है, लेकिन मतदान के पैटर्न से हमें लगता है कि राष्ट्रवादी विचारधारा विजयी हुई है। ALSO READ: राधाकृष्णन की जीत बड़ी या फिर जगदीप धनखड़ की, क्या कहते हैं उपराष्ट्रपति चुनाव के आंकड़े
 
उन्होंने कहा कि यह हर भारतीय की जीत है, हम सभी को मिलकर काम करना होगा। अगर हमें 2047 तक विकसित भारत बनाना है तो विकास पर ध्यान केंद्रित करना होगा। राधाकृष्णन ने कहा कि अपनी नई भूमिका में वह राष्ट्र के विकास के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देंगे। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सत्ता पक्ष और विपक्ष, दोनों ही महत्वपूर्ण होते हैं। ये एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। लोकतंत्र के हित को ध्यान में रखा जाएगा।
 
क्या कहा प्रधानमंत्री ने : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उपराष्ट्रपति चुनाव में राधाकृष्णन को जीत हासिल करने पर बधाई दी और विश्वास व्यक्त किया कि वह एक उत्कृष्ट उपराष्ट्रपति होंगे। मोदी ने ‘एक्स’ पर कहा कि राधाकृष्णन का जीवन हमेशा समाज सेवा और गरीबों व कमजोर वर्ग के लोगों को सशक्त बनाने के लिए समर्पित रहा है। ALSO READ: सीपी राधाकृष्णन होंगे भारत के उपराष्ट्रपति, सुदर्शन रेड्‍डी को मिली शिकस्त
 
चुनौतियां कम नहीं : उपराष्ट्रपति के तौर पर राधाकृष्णन का सफर अब अलग तरह का होगा, जिसमें उनके सामने कई चुनौतियां भी होंगी। सबसे बड़ी चुनौती राज्यसभा के सभापति के रूप में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच संतुलन बनाने की होगी, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में विपक्ष ने आसन की निष्पक्षता को लेकर कई सवाल खड़े किए हैं।
 
कौन हैं राधाकृष्णन : अब तक महाराष्ट्र के राज्यपाल की भूमिका में रहे 67 वर्षीय राधाकृष्णन किशोरावस्था में ही आरएसएस और जनसंघ से जुड़ गए थे। वह 1990 के दशक के अंत में कोयंबटूर से दो बार लोकसभा चुनाव जीते और उनके समर्थक उन्हें ‘तमिलनाडु का मोदी’ कहते हैं। राधाकृष्णन ने 1998 और 1999 में कोयंबटूर लोकसभा सीट से दो बार चुनाव जीता, हालांकि इसके बाद उन्हें इस सीट से लगातार तीन बार हार का सामना करना पड़ा। तमिलनाडु में सभी दलों में उन्हें काफी सम्मान हासिल है और यही वजह है कि भाजपा ने उन्हें कई राज्यों का राज्यपाल बनाया।
 
2024 में बने थे राज्यपाल : उन्होंने 31 जुलाई, 2024 को महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में शपथ ली। इससे पहले, उन्होंने लगभग डेढ़ साल तक झारखंड के राज्यपाल के रूप में कार्य किया। झारखंड के राज्यपाल के रूप में, उन्हें तेलंगाना के राज्यपाल और पुडुचेरी के उपराज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा गया था। तमिलनाडु के तिरुपुर में 20 अक्टूबर, 1957 को जन्मे राधाकृष्णन के पास व्यवसाय प्रबंधन में स्नातक की डिग्री है। 16 साल की उम्र में आरएसएस के स्वयंसेवक के रूप में शुरुआत करने वाले राधाकृष्णन 1974 में भारतीय जनसंघ की राज्य कार्यकारिणी के सदस्य बने।
 
वर्ष 1996 में, राधाकृष्णन को भाजपा की तमिलनाडु इकाई का सचिव नियुक्त किया गया। वह 1998 में कोयंबटूर से पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए और 1999 में वह फिर से इस सीट से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए। एक उत्साही खिलाड़ी राधाकृष्णन टेबल टेनिस में कॉलेज चैंपियन और लंबी दूरी के धावक रहे हैं। ऐसा कहा जाता है कि 2004 में द्रमुक द्वारा राजग से संबंध समाप्त करने के बाद तमिलनाडु में भाजपा के लिए नया गठबंधन बनाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala 

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