सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'हमें इसको समान आचार संहिता के चश्मे से नहीं देखना चाहिए। हमें महिलाओं के अधिकारों के संदर्भ में बात करने की जरूरत है। हमारा जवाब सिर्फ अधिकारों पर केंद्रित रहने वाला है। किसी महिला के अधिकार अपरिहार्य हैं और संविधान के अनुसार उसके पुरुषों के बराबर के अधिकार हासिल हैं।'
गृहमंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री अरुण जेटली, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने पिछले सप्ताह इस पर चर्चा के लिए बैठक की कि बहुविवाह, एकसाथ तीन तलाक (तलाक-ए-बिदत) और 'निकाह हलाला' की मुस्लिम परंपराओं के मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय में सरकार का क्या रुख होगा।
उच्चतम न्यायालय ने इस महीने की शुरुआत में तीन तलाक के मुद्दे पर दायर याचिकाओं पर जवाब देने के लिए केंद्र सरकार को चार सप्ताह का समय दिया था। इन याचिकाओं में उत्तराखंड की महिला सायरा बानो नामक महिला की याचिका भी शामिल है जिन्होंने बहुविवाह, एकसाथ तीन तलाक (तलाक-ए-बिदत) और 'निकाह हलाला' की मुस्लिम परंपराओं असंवैधानिक करार देते हुए चुनौती दी है।