क्या है समान नागरिक संहिता : समान नागरिक संहिता अथवा समान आचार संहिता का अर्थ एक पंथनिरपेक्ष (सेक्युलर) कानून होता है, जो सभी पंथ के लोगों के लिए समान रूप से लागू होता है। दूसरे शब्दों में अलग-अलग पंथों के लिए अलग-अलग सिविल कानून न होना ही 'समान नागरिक संहिता' की मूल भावना है।
समान नागरिक संहिता यानी Uniform Civil Code भारतीय संविधान के भाग 4 में नीति निदेशक तत्त्वों का वर्णन है। इसके तहत अनुच्छेद 44 के अनुसार भारत के समस्त नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता होनी चाहिए। इसका अर्थ यह है कि भारत के सभी धर्मों के नागरिकों के लिए एक समान धर्मनिरपेक्ष कानून बनाया जाना चाहिए।
संविधान के संस्थापकों ने राज्य के नीति निदेशक तत्त्वों के माध्यम से इसको लागू करने को कहा है। इसके अंतर्गत व्यक्तिगत कानून, संपत्ति संबंधी कानून और विवाह, तलाक तथा गोद लेने से संबंधित कानूनों में मतभिन्नता है।
यहां तक कि माता-पिता भी अपने बच्चों को अपनी संपत्ति से बेदखल नहीं कर सकते और उन्हें अपनी संपत्ति का कम से कम आधा हिस्सा अपने बच्चों को देना होता है। वे मुस्लिम जिन्होंने गोआ में अपनी शादी का पंजीकरण करवाया है, उन्हें एक से ज्यादा विवाह की अनुमति नहीं होती है।