कृषि संबंधी बिल पर NDA में फूट, केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने दिया इस्तीफा
गुरुवार, 17 सितम्बर 2020 (21:03 IST)
नई दिल्ली। कृषि अध्यादेशों को लेकर केंद्र की NDA सरकार में मतभेद खुलकर सामने आ रहे हैं। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) में भाजपा के सबसे पुराने सहयोगी शिरोमणि अकाली दल के कोटे से मंत्री हरसिमरत कौर बादल (Harsimrat Kaur Badal) ने इस मुद्दे पर इस्तीफा दे दिया है। केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल मोदी सरकार में अकाली दल की एकमात्र प्रतिनिधि हैं।
हरसिमरत ने ट्वीट किया- मैंने किसान विरोधी अध्यादेशों और विधेयकों के विरोध में केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है। किसानों की बेटी और बहन के तौर पर उनके साथ खड़े होने पर गर्व है।
कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 पर चर्चा में भाग लेते हुए सुखबीर बादल ने कहा कि शिरोमणि अकाली दल किसानों की पार्टी है और वह कृषि संबंधी इन विधेयकों का विरोध करती है। निचले सदन में चर्चा के दौरान कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि शिरोमणि अकाली दल ने कभी भी यू-टर्न नहीं लिया।
बादल ने कहा कि हम राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के साथी हैं। हमने सरकार को किसानों की भावना बता दी। हमने इस विषय को हर मंच पर उठाया। हमने प्रयास किया कि किसानों की आशंकाएं दूर हों लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।
उन्होंने कहा कि पंजाब के किसानों ने अन्न के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है। पंजाब में लगातार सरकारों ने कृषि आधारभूत ढांचा तैयार करने के लिए कठिन काम किया, लेकिन यह अध्यादेश उनकी 50 साल की तपस्या को बर्बाद कर देगा। अकाली दल, भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगी पार्टी है।
पंजाब कांग्रेस ने किया विरोध : पंजाब कांग्रेस के कुछ नेताओं ने गुरुवार को कहा कि कृषि विधेयकों को लेकर उनकी पार्टी का एक स्वर है और ‘कृषि क्षेत्र को बर्बाद करने के केंद्र के प्रयासों’ के खिलाफ वोट के लिए व्हिप जारी करने की कोई जरूरत नहीं थी।
कांग्रेस के नेता शिरोमणि अकाली दल के प्रवक्ता दलजीत सिंह चीमा के बयान पर प्रतिक्रिया जता रहे थे। चीमा ने कहा था कि मुख्यमंत्री अमरिंदरसिंह के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने मामले पर राज्यपाल को एक ज्ञापन दिया लेकिन कृषि क्षेत्र के विधेयकों के खिलाफ मतदान करने के लिए अपने सांसदों को एकजुटता दिखाने का निर्देश नहीं दिया।
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि कांग्रेस के सांसद पंजाब विरोधी अध्यादेशों के खिलाफ शुरू से ही आवाज उठा रहे हैं और उन्हें पता है कि किस तरह मतदान करना है । शिरोमणि अकाली दल के सांसद ही अपने नेतृत्व से स्पष्ट संदेश नहीं मिलने के कारण राह से भटक गए क्योंकि उनके नेतृत्व का कई मुद्दों पर रुख बदलते रहता है। उनके साथ पंजाब कांग्रेस के प्रमुख सुनील जाखड़ और मंत्री मनप्रीत बादल, सुखजिंदर रंधावा और भारत भूषण आशू भी थे। उन्होंने एक बयान में कहा कि पंजाब ही नहीं, बल्कि देश भर के कांग्रेस सांसदों ने विधेयकों का विरोध किया है।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार संसद के मौजूदा मानसून सत्र में किसानों से संबंधित कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा प्रदान करना) विधेयक, 2020, कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 लेकर आई है। आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक मंगलवार को लोकसभा से पारित हो गया है। (इनपुट भाषा)