आज 'विश्व पर्यावरण दिवस' पर जिस पेड़ के बारे में आप जानने जा रहे हैं, उसके बारे में दावा किया जाता है कि उसकी उम्र 950 साल से भी ज्यादा है। चर्म रोग, गर्भावस्था में कठिनाई, कमजोरी, दस्त या बुखार से पीड़ित कोई भी व्यक्ति के लिए इस पेड़ के छाल, पत्ते, फूल और फल कई प्रकार से उपयोगी होते हैं।
यह पेड़ बारिश का प्रतीक है। इसका तना भंडार की तरह है, जहां सैकड़ों लीटर पानी जमा होता है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस पेड़ की कीमत का अंदाजा लगाया जाए तो यह आंकड़ा 7 करोड़ रुपए से ऊपर पहुंच गया है। वड़ोदरा शहर से 15 किलोमीटर दूर गणपतपुरा गांव में यह शानदार हेरिटेज ट्री है जिसका नाम बाओबाब वृक्ष है। आमतौर पर इस पेड़ की उम्र 2 हजार साल होती है। इस पेड़ को डेड रैट ट्री और मंडी ब्रेड ट्री के नाम से भी जाना जाता है। इस पेड़ को वन विभाग द्वारा वर्ष 2014-15 में हेरिटेज ट्री का दर्जा दिया गया है।
हाल ही की बात है। साल 2022 की जनवरी थी। सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने एक समिति को पेड़ों के आर्थिक मूल्य का निर्धारण करने के लिए कहा। यह मूल्य ऑक्सीजन मूल्य और पेड़ों द्वारा प्रदान किए जाने वाले अन्य लाभों पर निर्भर हो सकता है। इस समिति के निष्कर्षों के अनुसार एक पेड़ का 1 वर्ष का आर्थिक मूल्य 74 हजार 500 रुपए हो सकता है यानी हर साल पेड़ की उम्र में रु. 74,500 से गुणा करके इसका मूल्य निर्धारित किया जाना चाहिए।
इस कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक 100 साल पुराने हेरिटेज ट्री की कीमत 1 करोड़ रुपए से ज्यादा हो सकती है। देश में पहली बार किसी पेड़ का आर्थिक मूल्यांकन सुप्रीम की विशेषज्ञ कमेटी ने किया जिसके मुताबिक वडोदरा के पास गणपतपुरा गांव में विशालकाय पेड़ की कीमत 7 करोड़ रुपए से ज्यादा है। जबकि अन्य सभी पेड़ों में वसंत और बरसात के दिनों में नए पत्ते उग आते हैं, यह पेड़ ज्यादातर पत्तीरहित होता है।
लेकिन अगर इस पेड़ पर पत्ते आने लगें तो यह इस बात का संकेत है कि 15 से 20 दिनों में बारिश शुरू हो जाएगी। 3 से 4 महीने की बारिश में यह पेड़ अपना साल पूरा कर लेता है यानी इन 4 महीनों में पेड़ पर पत्ते, फूल और फल लगेंगे। जब वर्षा ऋतु समाप्त हो जाती है तो मात्र 15 से 20 दिनों में इसके पत्ते गिरने लगते हैं और बाकी के 8 से 9 महीनों में इस पेड़ पर सिर्फ टहनियां ही दिखाई देती हैं। इस पेड़ की आकृति ऐसी है, जैसे किसी पेड़ को जड़ से उखाड़कर उल्टा रख दिया हो इसलिए कुछ लोग इसे 'उल्टा पेड़' कहते हैं।