भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य जयंत सिन्हा की अध्यक्षता वाली वित्त पर संसद की स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि समिति का पुरजोर विश्वास है कि आरबीआई के विचार अनुसार एक स्वचालित मुआजवा प्रणाली होनी चाहिए और जांच लंबित रहने तथा धन के बारे में जानकारी नहीं मिलने तक असहाय उपभोक्ता को तत्काल मुआजवा देने की पूरी जिम्मेदारी वित्तीय संस्थान की है। लोकसभा में पिछले सप्ताह रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी।
सिन्हा ने कहा कि हमने सुझाव दिया है कि अगर उपभोक्ता शिकायत दर्ज कराता है कि वह साइबर अपराध धोखाधड़ी का शिकार हुआ है तो उसके खाते में धन तत्काल वापस आना चाहिए। निसंदेह एक निश्चित सीमा तक। अपराध और उसे अंजाम देने वाले का पता लगाने की जिम्मेदारी वित्तीय संस्थानों की होनी चाहिए ताकि उपभोक्ताओं को तत्काल न्याय मिले।