भोपाल में हाल ही में आयोजित विश्व हिन्दी सम्मेलन के अवसर पर विश्व हिन्दी सम्मान से नवाजे गए जर्मनी के प्रो. हाइंस वारनाल वेस्लर ने वेबदुनिया से बातचीत में बताया कि हिन्दी की वजह से उन्हें नौकरी मिली, अन्यथा मुश्किल होती।
संस्कृतनिष्ठ हिन्दी को वेस्लर कृत्रिम मानते हैं और प्रधानमंत्री मोदी से सहमति जताते हुए कहते हैं भारत की अलग-अलग जुबानों से हिन्दी में शब्द लेने चाहिए। हालांकि वे यह भी मानते हैं कि गलत अनुवाद से हिन्दी को बहुत नुकसान हुआ है, खासकर विदेशों में। अत: इस दिशा में और काम होना चाहिए।