7 जून से पहले मानसून की उम्मीद नहीं

मंगलवार, 31 मई 2016 (18:58 IST)
नई दिल्ली। हवाओं की गतिकी अनुकूल नहीं होने तथा बारिश का उचित  पैटर्न नहीं बनने के कारण इस साल केरल में 7 जून से पहले मानसून आने की  उम्मीद नहीं है।
मौसम विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने  बताया कि हवा का विपरीत  प्रवाह अभी बिलकुल नहीं है। हवा का दबाव भी अभी मानसून के लिहाज से नहीं है।  उन्होंने बताया कि मानसून के कई कारक होते हैं जिनका विशिष्ट संयोग पूरा होने पर  ही कहा जाता है कि देश में मानसून आ गया है।
 
मानसूनी हवा विषुवत रेखा से 3000 किलोमीटर दक्षिण स्थित मैसकेरिन हाई से  चलकर उत्तर पूर्व की ओर बढ़ती हुई भारत आती है। आम तौर पर यह केरल के तट से  1 जून को टकराती है। मौसम विभाग ने इस बार इसके 7 जून को केरल तट पर आने की भविष्यवाणी की थी। इसमें चार दिन आगे-पीछे का विंडो पीरियड होता है।
 
अधिकारी ने बताया कि केरल में अभी मानसून पूर्व बारिश शुरू हो गई है, लेकिन  7 जून से पहले मानसून के केरल में आने की उम्मीद नहीं है। उन्होंने कहा कि इसका  मतलब यह नहीं है कि देश के अन्य भागों में भी मानसून देर से पहुंचेगा। न ही यह  मानसूनी बारिश के औसत से कम रहने का संकेतक है। 
 
उन्होंने कहा कि पहले कई बार ऐसा देखा गया है कि केरल में मानसून देर से आने के बावजूद अन्य हिस्सों में यह समय से पहले आ गया है। मौसम विभाग इस बार औसत से ज्यादा बारिश की उम्मीद कर रहा है। 
 
दिल्ली स्थित राष्ट्रीय मौसम पूर्वानुमान केंद्र के प्रमुख बीपी यादव ने बताया कि हवा  में उत्तरी कारक अभी भी है। इसका मतलब है कि उत्तर भारत की गर्म हवा दक्षिण की  ओर जा रही है जबकि मानसून आने के लिए जरूरी है कि हवा का प्रवाह दक्षिण से  उत्तर की ओर हो। 
 
इसके अलावा दक्षिण भारत के चिह्नित 14 में से कम से कम 60 प्रतिशत केंद्रों पर लगातार दो दिन बारिश होनी चाहिए। साथ ही हवा का दबाव आदि जैसे कारक भी हैं जिन्हें देखते हुये मौसम विभाग मानसून आने की घोषणा करता है।
 
उन्होंने दिल्ली तथा आसपास के इलाकों में पिछले तीन दिन में हुई बारिश के  बारे में कहा कि यह मानसून से पहले की बारिश नहीं थी। नमी के साथ पश्चिमी  विक्षोभ के कारण गर्मी के मौसम में इस तरह की बारिश होती है।
 
यादव ने बताया कि राजस्थान, हरियाणा, पश्चिमी उत्तरप्रदेश तथा राष्ट्रीय  राजधानी दिल्ली में बुधवार से एक बार फिर आसमान साफ रहेगा और धूप निकलनी  शुरू होगी। इससे तापमान बढ़ेगा। अगले चार-पांच दिन में उत्तर-पश्चिम भारत में  अधिकतम तापमान 40 डिग्री के करीब पहुंच जाएगा। (वार्ता)

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