पुणे में क्‍यों खतरनाक हुआ गुइलेन बैरे सिंड्रोम, क्‍या हैं लक्षण और कैसे बचें, पूर्व अमेरिकी राष्‍ट्रपति की भी ले चुका है जान

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

सोमवार, 27 जनवरी 2025 (13:00 IST)
महाराष्‍ट्र के पुणे में गुइलेन बैरे सिंड्रोम का कहर सामने आ रहा है। यहां अब तक 1 शख्‍स की मौत हो चुकी है, 17 लोग वेंटिलेटर पर हैं। इस बीमारी से ग्रसित होने वाले की संख्‍या 100 के पार हो गई है। बता दें कि इस सिंड्रोम में अमेरिका के पूर्व राष्‍ट्रपति फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट की भी मौत हो चुकी है।

Guillain Barre syndrome : स्वास्थ्य विभाग के अनुसार जीबीएस के सामान्य लक्षणों में हाथ या पैर में अचानक कमजोरी, लकवा, चलने में परेशानी या अचानक कमजोरी और दस्त शामिल हैं। राज्य सरकार ने पहले ही कई उपाय किए हैं। एक राज्य स्तरीय त्वरित प्रतिक्रिया दल ने प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया, जबकि पुणे नगर निगम (पीएमसी) और ग्रामीण जिला अधिकारियों को निगरानी गतिविधियां बढ़ाने का निर्देश दिया गया है। शहर के विभिन्न हिस्सों से पानी के नमूने रासायनिक और जैविक विश्लेषण के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशाला में भेजे गए हैं। राज्य सरकार ने घर-घर निगरानी गतिविधियां भी बढ़ा दी हैं और पुणे जिले में कुल 25,578 घरों का सर्वेक्षण किया गया है। आपको बता दें कि गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के कारण अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट की भी मौत हो चुकी है।

रेयर न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर : विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO के मुताबिक, गुइलेन-बैरे सिंड्रोम एक रेयर न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसमें बॉडी का इम्यून सिस्टम पेरिफेरल नर्वस सिस्टम के एक हिस्से पर हमला करती है। जिससे मांसपेशियों में कमजोरी, पैर, बाहों में झुनझुनी और निगलने या सांस लेने में दिक्कतें होती हैं।

क्या होती है GBS : बता दें कि रविवार तक 25,578 घरों का सर्वे किया जा चुका है। बीमार लोगों को ढूंढ जा रहा है और जीबीएस का पता लगाया जा रहा है। बताया गया कि जीबीएस का इलाज काफी महंगा है। हर इंजेक्शन की कीमत 20,000 रुपये है। जीबीएस तब होता है जब शरीर का इम्‍यूनिटी सिस्‍टम सहित बैक्टीरिया वायरल संक्रमण पर प्रतिक्रिया देते वक्‍त दिमाग के संकेतों को ले जाने वाली नसों पर गलती से हमला करती है।

Guillain Barre syndrome: गुइलेन-बैरे सिंड्रोम एक दुर्लभ बीमारी है, और इसका सटीक कारण ज्ञात नहीं है। हालांकि, यह आमतौर पर किसी संक्रमण के बाद होता है। हाथ और पैरों में कमजोरी और झुनझुनी आमतौर पर इसके पहले लक्षण होते हैं। ये तेजी से फैल सकती हैं और पक्षाघात का कारण बन सकती हैं। गुइलेन-बैरे सिंड्रोम का कोई इलाज नहीं है, लेकिन उपचार से लक्षणों को कम किया जा सकता है। उपचार में आमतौर पर प्लाज्माफेरेसिस या अंतःशिरा इम्यूनोग्लोबुलिन का उपयोग शामिल होता है।

पुणे में क्या हैं हालात : महाराष्ट्र के स्वास्थ्य विभाग ने जानकारी दी है कि पुणे में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के कुल मामलों की संख्या बढ़कर रविवार को 101 हो गई है। संक्रंमित मरीजों में 68 पुरुष और 33 महिलाएं शामिल हैं। इनमें से 16 मरीज वेंटिलेटर पर हैं। वहीं, सोलापुर में एक मरीज की मौत हो गई है जिसके संक्रमित होने का संदेह था।
Edited By: Navin Rangiyal

वेबदुनिया पर पढ़ें

सम्बंधित जानकारी