No Confidence Motion: क्या होता है अविश्वास प्रस्ताव, किन स्थितियों में लाया जाता है?

बुधवार, 26 जुलाई 2023 (13:10 IST)
No confidence motion : कांग्रेस और BRS मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला रही है। इसके लिए लोकसभा अध्यक्ष कार्यालय को नोटिस दे दिया गया है, जिसे स्पीकर ने स्वीकार भी कर लिया है। इससे पहले 2018 में मोदी सरकार के खिलाफ आखिरी बार अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। अविश्वास प्रस्ताव से जुड़ी वे बातें जो आप जानना चाहते हैं। 
 
क्या होता है अविश्वास प्रस्ताव? : जब लोकसभा में विपक्ष के किसी दल को लगता है कि मौजूदा सरकार के पास बहुमत नहीं है या फिर सरकार सदन में विश्वास खो चुकी है, तो अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है। इसे अंग्रेजी में 'नो कॉन्फिडेंस मोशन' कहते हैं। संविधान के अनुच्छेद 75 (Article 75) में इसका उल्लेख किया गया है।
 
क्या है प्रक्रिया : सबसे पहले विपक्षी दल को लोकसभा अध्यक्ष या स्पीकर को इसकी लिखित सूचना देनी होती है। इसके बाद स्पीकर उस दल के किसी सांसद से इसे सदन में पेश करने के लिए कहता है।
 
इसे कब स्वीकार किया जाता है? : अविश्वास प्रस्ताव को तभी स्वीकार किया जा सकता है, जब सदन में उसे कम से कम 50 सदस्यों का समर्थन हासिल हो।
 
अविश्वास प्रस्ताव पर मंजूरी मिलने के बाद क्या होता है? : अगर लोकसभा अध्यक्ष या स्पीकर अविश्वास प्रस्ताव को मंजूरी दे देते हैं, तो प्रस्ताव पेश करने के 10 दिनों के अंदर इस पर सदन में चर्चा जरूरी होती है। इसके बाद स्पीकर अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में वोटिंग करा सकता है या फिर कोई अन्य फैसला ले सकता है।
 
लोकसभा में सीटों की स्थिति : फिलहाल लोकसभा में भाजपा के 301 सांसद हैं। उसे NDA के घटक दलों के 28 सांसदों का समर्थन प्राप्त है। कांग्रेस के 49, डीएमके के 24, तृणमूल कांग्रेस के 23, जेडीयू के 16 और एनसीपी 5 सांसद है। विपक्ष को कुल 142 सांसदों का समर्थन है। ऐसे में प्रस्ताव को लोकसभा में चर्चा के लिए स्वीकार तो किया जा सकता है पर उसे पास नहीं कराया जा सकता।
 
विपक्ष क्यों ला रहा है अविश्वास प्रस्ताव : कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के अन्य घटक दल मानसून सत्र के पहले दिन से ही मणिपुर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से संसद में वक्तव्य देने और चर्चा कराए जाने की मांग कर रहे हैं। इस मुद्दे पर हंगामे के कारण संसद के मानसून सत्र के पहले चार दिन दोनों सदनों की कार्यवाही बार-बार बाधित हुई।
 
यह बात तय है कि सदन में विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव गिर जाएगा, लेकिन जब सदन में प्रस्ताव पर चर्चा होगी तो विपक्ष अपनी बात देश की जनता तक पहुंचाने में सफल होगा। विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव का उद्देश्य भी यही है। 
 
क्या मोदी सरकार को खतरा है? : नहीं, मोदी सरकार को खतरा नहीं लगता क्योंकि अकेले भाजपा के पास 301 सांसद हैं। लोकसभा में बहुमत के लिए 272 सीटों की जरूरत होती है। ऐसे में सदन में मत विभाजन की स्थिति आने पर मात्र अपने दम पर ही भाजपा सरकार बचा सकती है।
Edited by : Nrapendra Gupta 

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