सरस्वती जब बुद्धि बांट रही थी तो वे रास्ते में खड़े थे, PM Modi ने मुंबई में किस पर कसा तंज?

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

शुक्रवार, 30 अगस्त 2024 (13:06 IST)
'आपको याद होगा कि कुछ लोग संसद में खड़े होकर पूछते थे और अपने आपको विद्वान मानने वाले लोग तब पूछ रहे थे। दरअसल, सरस्वती जब बुद्धि बांट रही थी तो वे रास्ते में पहले ही खड़े थे। वे पूछते थे कि भारत में बैंकों की ब्रांचें नहीं है, गांव-गांव बैंक नहीं हैं, इंटरनेट नहीं है, यहां तक भी पूछ लेते थे कि बिजली भी नहीं है तो रिचार्जिंग कैसे होगी?' 

दरअसल, यह बात पीएम नरेंद्र मोदी ने मुंबई फिनटेक फेस्ट में कही। उन्‍होंने कहा कि कहा कि सरस्वती जब बुद्धि बांट रही थी तो संसद में खड़े होकर सवाल उठाने वाले ये लोग सड़क पर ही खड़े थे।

फिनटेक क्रांति पर सवाल उठाते थे : मुंबई फिनटेक फेस्ट में पीएम मोदी ने विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए कहा कि एक दौर में देश की फिनटेक क्रांति पर सवाल उठाया जाता था, लेकिन आज एयरपोर्ट से लेकर स्ट्रीट फूड तक फिनटेक की विविधता देखकर विदेशी भी हैरान रह जाते हैं। मोदी ने चुटकी लेते हुए कहा कि सरस्वती जब बुद्धि बांट रही थी तो संसद में खड़े होकर सवाल उठाने वाले ये लोग सड़क पर ही खड़े थे।

भारत में कमाल कर दिया : प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 10 साल में फिनटेक स्पेस में 31 बिलियन से ज्यादा का निवेश हुआ है। इस दौरान में हमारे हमारे फिनटेक स्टार्टअप में 500 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। सस्ते मोबाइल फोन, सस्ते डेटा और जीरो बैलंस जनधन बैंकखातों ने भारत में कमाल कर दिया है।

मोदी ने कहा— एक समय था जब लोग भारत आते थे तो हमारी सांस्कृतिक विविधता देखकर दंग रह जाते थे, अब लोग भारत आते हैं तो हमारी फिनटेक विविधता को भी देखकर हैरान हो जाते हैं। एयरपोर्ट पर लैंड करने से लेकर, स्ट्रीट फूड और शॉपिंग एक्सपिरियंस तक भारत के फिनटेक क्रांति हर तरफ दिखती है। पिछले 10 साल में फिनटेक स्पेस में 31 बिलियन से ज्यादा का निवेश हुआ है। इस दौरान में हमारे हमारे फिनटेक स्टार्टअप में 500 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। सस्ते मोबाइल फोन, सस्ते डेटा और जीरो बैलंस जनधन बैंकखातों ने भारत में कमाल कर दिया है।

खुद को विद्वान मानते थे लोग : पीएम ने कहा, 'आपको याद होगा कि कुछ लोग संसद में खड़े होकर पूछते थे और अपने आपको विद्वान मानने वाले लोग तब पूछ रहे थे... दरअसल सरस्वती जब बुद्धि बांट रही थी तो वे रास्ते में पहले ही खड़े थे. वे पूछते थे कि भारत में बैंकों की ब्रांचें नहीं है, गांव-गांव बैंक नहीं हैं, इंटरनेट नहीं है, यहां तक भी पूछ लेते थे कि बिजली भी नहीं है तो रिचार्जिंग कैसे होगी?'
Edited by Navin Rangiyal

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