Who is chief Justice BV Nagarathna : जस्टिस नागरत्ना वो नाम हैं जो कई बार जजों की बेंच में अपनी अलग ही बात रखती हैं। हाल ही में खनिजों पर लगने वाली रॉयल्टी के केस में भी 9 जजों की बेंच के फैसले से उन्होंने अपनी अलग राय रखी है। बता दें कि जस्टिस नागरत्ना एडमिनिस्ट्रेटिव लॉ, कॉन्स्टिट्यूशनल लॉ, कॉमर्शियल लॉ और फैमिली लॉ जैसे मामलों की एक्सपर्ट मानी जाती हैं। जस्टिस नागरत्ना अभी तक 366 से ज्यादा बेंच का हिस्सा रह चुकी हैं और 53 से ज्यादा जजमेंट दे चुकी हैं।
अब जस्टिस बीवी नागरत्ना भारत की पहली महिला CJI बनेंगी। हालांकि उनका कार्यकाल सिर्फ 36 दिनों का होगा। जानते हैं कौन हैं जस्टिस बीवी नागरत्ना और क्यों रहती हैं चर्चा में।
भारत की पहली महिला CJI होंगी : जस्टिस बीवी नागरत्ना 31 अगस्त 2021 को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त हुईं। वह चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया यानी सीजेआई बनने वाली हैं। जस्टिस नागरत्ना भारत की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश होंगी। हालांकि उनका कार्यकाल सिर्फ 36 दिनों का होगा। वह 24 सितंबर 2027 को CJI बनेंगी और 29 अक्टूबर 2027 तक इस पद पर रहेंगी।
कौन हैं जस्टिस बीवी नागरत्ना : (Justice BV Nagarathna) जस्टिस बीवी नागरत्ना (BV Nagarathna) 30 अक्टूबर 1962 को बेंगलुरु में जन्मीं। उन्होंने साल 1984 में दिल्ली यूनिवर्सिटी के जीसस एंड मैरी कॉलेज से बीए ऑनर्स (हिस्ट्री) की पढ़ाई की। इसके बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी के कैंपस लॉ सेंटर में एलएलबी में दाखिला ले लिया। साल 1987 में एलएलबी की पढ़ाई पूरी करने के बाद बतौर एडवोकेट प्रैक्टिस शुरू की। साल 1987 से 1994 तक के KESVY & Co के साथ काम करती रही। साल 1994 में इंडिपेंडेंट प्रैक्टिस शुरू की।
कब पहली बार बनीं जज : जस्टिस नागरत्ना साल 2008 में पहली बार कर्नाटक हाईकोर्ट की जज बनीं। 18 फरवरी 2008 को उन्हें कर्नाटक हाईकोर्ट का एडिशनल जज नियुक्त किया गया। इसके बाद 17 फरवरी 2010 को कर्नाटक हाईकोर्ट की परमानेंट जज नियुक्त हुईं। जस्टिस नागरत्ना कर्नाटक ज्यूडिशल एकेडमी की अध्यक्ष और बेंगलुरु मेडिएशन सेंटर की प्रेसिडेंट भी रही हैं।
क्यों रहती हैं चर्चा में : जस्टिस नागरत्ना अपने फैसलों की वजह से चर्चा में रहती हैं। उन्होंने नोटबंदी से अहमति जताई थी। इसके अलावा आजम खान से जुड़े फ्रीडम ऑफ स्पीच केस में भी अलग जजमेंट दिया था। एक और महत्वपूर्ण फैसले में जस्टिस नागरत्ना ने सर्वसम्मति से फैसला दिया था कि पब्लिक सर्वेंट्स के खिलाफ यदि परिस्थितिजन्य साक्ष्य है तो उसके आधार पर रिश्वतखोरी के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। खनिज पदार्थों पर लगने वाली रॉयल्टी वाले केस में उन्होंने बेंच से अलग फैसला दिया था। दरअसल, सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की बेंच कहा है कि खनिजों पर लगने वाली रॉयल्टी को टैक्स नहीं माना जा सकता। बेंच ने 8:1 के बहुमत से दिये अपने फैसले में कहा कि खनिज पदार्थों पर टैक्स लगाने की विधायी शक्ति राज्यों के पास है और इसपर दी जाने वाली रॉयल्टी कोई टैक्स नहीं है। 9 जजों की बेंच में जस्टिस बीवी नागरत्ना (Justice B.V. Nagarathna) इकलौती जज थीं, जिन्होंने अलग फैसला दिया। जस्टिस नागरत्ना ने 193 पेज के अपने जजमेंट में कहा कि खनिजों पर दी जाने वाली रॉयल्टी टैक्स के नेचर की है। अगर राज्यों को खनिज पदार्थों पर टैक्स वसूलने की इजाजत दे दी जाए तो इससे राजस्व वसूलने की होड़ मच जाएगी।
दरअसल, कई राज्य सरकारों और कंपनियों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में कुल 86 याचिकाएं दायर की गई थीं. जिसमें सुप्रीम कोर्ट को तय करना था कि खनिज पदार्थों पर रॉयल्टी और खदानों पर टैक्स लगाने का अधिकार राज्यों के पास होना चाहिए अथवा नहीं। इस मामले में असहमतिपूर्ण फैसला देने वाली जस्टिस बीवी नागरत्ना पहले भी कई मामलों में डिसेंटिंग जजमेंट दे चुकी हैं।
Edited By : Navin Rangiyal