मीडिया की लाइमलाइट से दूर रहने वाले साइरस मिस्त्री कोई साधारण नाम नहीं थे। वे भारतीय मूल के चर्चित खरबपति पलोनजी शापूरजी मिस्त्री के सबसे छोटे बेटे थे। पलोनजी मिस्त्री ने आयरिश महिला से शादी की और बाद में आयरलैंड के नागरिक हो गए। यही कारण है कि पलोनजी शापूरजी के बेटे साइरस मिस्त्री का जन्म भी आयरलैंड में हुआ है।
साइरस मिस्त्री ने लंदन बिजनेस स्कूल से पढ़ाई की। टाटा संस के बोर्ड में साइरस मिस्त्री ने 2006 में एंट्री की। टाटा ग्रुप ने 18 महीने की खोज के बाद इस पद के लिए साइरस मिस्त्री का चयन किया गया। ब्रिटेन के प्रभावशाली कारोबारी और वारविक मैन्यूफैक्च रिंग के संचालक लॉर्ड सुशांत कुमार भट्टाचार्य, प्रतिष्ठित वकील शिरीन भरुचा और एनए सूनावाला (टाटा संस के उपाध्यक्ष) पर टाटा ग्रुप के वारिस को चुनने की जिम्मेदारी थी।
4 साल के अंदर पद से हटाया : दिसंबर 2012 में रतन टाटा ने टाटा सन्स के चैयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद साइरस मिस्त्री को यह पद सौंपा गया था। टाटा के 150 साल से भी ज्यादा समय के इतिहास में साइरस मिस्त्री छठे ग्रुप चेयरमैन थे। 4 साल के अंदर ही 24 अक्टूबर 2016 को टाटा सन्स ने उन्हें चेयरमैन पद से हटा दिया था। उनकी जगह रतन टाटा को अंतरिम चेयरमैन बनाया गया था। इसके बाद 12 जनवरी 2017 को एन चंद्रशेखरन टाटा सन्स के चेयरमैन बनाए गए थे।
कोर्ट तक पहुंचा मामला : साइरस मिस्त्री (Cyrus Mistry) के के अगुवाई वाले शापूरजी पलौंजी ग्रुप (SP Group) और टाटा ग्रुप में टकराव कई बार दिखाई दिया। टाटा समूह ने टाटा संस में एसपी ग्रुप की हिस्सेदारी खुद खरीदने का प्रस्ताव दिया था, जिसके लिए मिस्त्री परिवार तैयार नहीं था। यह मामला कोर्ट में भी पहुंचा था जिसने टाटा के पक्ष में फैसला दिया था। एसपी ग्रुप पर भारी कर्ज है और उसने टाटा संस के कुछ शेयरों को गिरवी रखा है। मिस्त्री विवाद में टाटा ग्रुप की साख को बट्टा लगा था।