PM मोदी का मु्स्लिमों को साधने का मंत्र, आखिर पसमांदा मुस्लिमों पर क्यों टिकी भाजपा की नजर?

विकास सिंह

बुधवार, 18 जनवरी 2023 (13:15 IST)
दिल्ली में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिन चली बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी को मुस्लिम समुदाय की बीच पकड़ मजबूत करने का सीधा संदेश दिया। दो दिन की कार्यकारिणी की बैठक के समापन सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पार्टी नेता मुस्लिम समुदाय के बारे में गलत बयानबाजी ना करें, बल्कि देशभर में मुसलमानों के पास जाएं और उनसे बात करें।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बोहरा और पसमांदा मुसलमानों से खास तौर पर बातचीत करने के निर्देश पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को दिए। इसके साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी कार्यकर्ताओं को सीधा संदेश देते हुए कहा कि कोई वोट दे या ना दे लेकिन उससे जरूर मिलें। इससे पहले पसमांदा मुस्लिमों के लिए भाजपा स्नेह यात्रा शुरु करेगी।

दिल्ली में हुई भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से भाजपा ने एक तरह से मिशन 2024 का शंखनाद कर दिया है और मिशन 2024 में पार्टी की नजर मुसलमानों के एक वर्ग के वोटबैंक पर टिकी हुई है। मिशन 2024 को लेकर भाजपा की नजर उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में मुस्लमानों के उस वोटबैंक पर है जिसे पसमांदा कहा जाता है। 

मुस्लिमों से बात से बनेगी 2024 की बात?-राष्ट्रीय कार्यकरिणी की बैठक से पीएम मोदी के मुसलमानो से बात करने और उनसे संपर्क बढ़ाने के निर्देश के पीछे असली कहानी 2024 से जुड़ती है। मिशन 2024 के लिए भाजपा ने मुस्लिम वोटरों को अपनी ओर रिझाने की रणनीति पर काम शुरु कर दिया है। दरअसल मुस्लिम वोटरों को साध कर भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए अपने 50 फीसदी से उपर वोट शेयर प्राप्त करने के लक्ष्य की राह को आसान बनाना चाहती है।

दरअसल पिछले साल उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने कई मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर जीत हासिल की। इसके साथ चुनाव के आंकड़े बताते है कि पश्चिमी और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़ी संख्या में मुस्लिम वोटर भाजपा के साथ गया। उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव नतीजों ने भाजपा को मुस्लिम समुदाय के एक वर्ग में पैठ बनाने का सीधा संदेश दे दिया।

पसमांदा मुसलमान पर भाजपा की निगाहें क्यों?-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार पसमांदा मुस्लिमों से बात करने और उनको पार्टी से जोड़ने पर जोर दे रहे है। पसमांदा समुदाय के लोगों का दावा है कि भारत की पूरी मुस्लिम आबादी में उनकी हिस्सेदारी 80 फीसदी है। ऐसे में भाजपा ने मिशन 2024 के लिए पसमांदा मुस्लिमों को अपने खेमे में लाने पर पूरा जोर दे रही है। पसमांदा से आशय पिछड़े मुसलमानों से है और भाजपा की नजर अब इसी वोट बैंक पर है।

देश में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी उत्तर प्रदेश में है और राज्य में पसमांदा मुस्लिमों की संख्या 3 करोड़ से अधिक है। मिशन 2024 को फतह करने के लिए लिए भाजपा को उत्तर प्रदेश में बड़ी जीत हासिल करना जरूरी है। ऐसे में पसमांदा मुसलमानों को साधकर भाजपा अपने वोट शेयर बढ़ाना चाह रही है।  मुस्लिम समुदाय में पसमांदा मुसलमानों का वर्ग गरीब तबके से आते है और वह केंद्र औऱ राज्य की भाजपा सरकार की लाभार्थी योजना से प्रभावित था और उसने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा को वोट दिया। 

उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर बासिल अली कहते है कि भाजपा सरकार की हर योजनाओं में पसमांदा समाज को बड़ी भागीदारी मिली है। पीएम आवास योजना सहित सरकार की गरीब कल्याण की सभी योजनाओं में पसमांदा समाज को बड़ा लाभ मिला है।  

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लक्ष्य पसमांदा मुसलमानों को भाजपा के खेमे में लाना है। पसमांदा मुसलमानों को आर्थिक रूप से मजबूत कर सरकार की योजनाओं का लाभ दिलवाकर भाजपा इस बड़े समुदाय को अपने साथ लाने की कोशिश में है जिससे 2024 में उसके 50 फीसदी वोटर शेयर का लक्ष्य पूरा हो सके।

उत्तर प्रदेश में भाजपा के बड़े अल्पसंख्यक चेहरे और पूर्व मंत्री मोहसिन रजा कहते है कि पसमांदा मुसलमान दलित और ओबीसी मुसलमान हैं,जिनमें मुस्लिम समुदाय का 75 से 80 प्रतिशत हिस्सा है। पार्टी पसमांदा समुदाय को यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि भाजपा उनके जीवन के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है।

मिशन तेलंगाना के लिए मुस्लिम वोट जरूर- मुस्लिम समुदाय के साधने का सीधा कनेक्शन भाजपा के मिशन दक्षिण से भी जुड़ा है। इस साल तेलंगाना में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा अपनी पूरी ताकत लगा दी है और भाजपा के मिशन तेलंगाना के लिए मुस्लिम वोट एक जरूरी मजबूरी है। अगर भाजपा को तेलंगाना जीतना है तो उसे मुस्लिम वोटर में सेंध लगानी होगी।

अगर वोटरों के आंकडें को देखा जाए तो तेलंगाना की साढ़े तीन करोड़ की आबादी में से 12 फीसदी मुस्लिम वोटर विधानसभा चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाता है। 2018 के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम वोटर बड़ी संख्या में टीआरएस के साथ गए थे। इसके साथ हैदाराबाद के शहर इलाको में मुस्लिम वोटर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी की भी पकड़ है। ऐसे में अगर भाजपा को दक्षिण के इस किले में सेंध लगानी है तो उसके मुस्लिम वोटर को भी साधना होगा। 

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