करीब 21 साल की उम्र के हरियाणा के रोहतक के हरिसिंह और हिसार के पालूराम 13वीं फ्रंटियर फोर्स राइफल्स की चौथी बटालियन में तैनात थे और 362 जर्मन इन्फैन्ट्री डिवीजन से मोर्चा ले रहे थे। ये दोनों पोगियो आल्टो की लड़ाई के दौरान 13 सितंबर 1944 से लापता थे। इन दोनों को इटली में फ्लोरेंस के गिरोन मॉन्यूमेंटल सिमेटरी में दफनाया जाएगा।
उन्हें दफनाए जाने के बाद कब्र की मिट्टी भारत लाई जाएगी और उनके परिजनों को सौंपी जाएगी। इन दोनों के शारीरिक अवशेष 1996 में पोगियो आल्टो के पास से मिले थे जिनकी जांच 2010 में शुरू हुई थी। वर्ष 2012 में पता चला कि ये अवशेष गैरयूरोपीय युवकों के हैं जिनकी आयु करीब 21 वर्ष रही होगी। कॉमनवेल्थ वॉर ग्रेव कमीशन के दस्तावेजों में लापता लोगों की जानकारी के आधार पर दोनों की पहचान की गई।
ये दोनों फ्रंटियर फोर्स राइफल्स रेजिमेंट में तैनात थे, जो वर्ष 1947 में आजादी मिलने के बाद पाकिस्तानी सेना में मिल गई थी। उस रेजिमेंट में सैम बहादुर मानेकशॉ भी रहे, जो बाद में भारतीय सेना के प्रमुख भी बने और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में ऐतिहासिक विजय के बाद उन्हें फील्ड मार्शल की पदवी भी मिली।